सपनों को जागने के बाद क्यों भूल जाते हैं? कारण और मनोविज्ञान

सपनों को जागने के बाद क्यों भूल जाते हैं? कारण और मनोविज्ञान

क्या कभी आपने ये सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्यों जागने के बाद हम सपनों को अक्सर भूल जाते हैं। तो आइए इसी संबंध में कुछ कारणों का पता लगाते हैं | 

सपने भूलने के सामान्य कारण:

जैसे कि हम अपने रोजमर्रा की हल्की और कम महत्वपूर्ण चीजों को जल्दी भूल जाते हैं, ठीक उसी प्रकार से सपने भी हमारे साथ कमजोर या भावनात्मक रूप से कम जुड़े होते हैं जिसके कारण हम इनको जल्दी भूल जाते हैं।

सपनों की असंगठित प्रकृति:

सपने अक्सर ख्याली, अपनी इच्छानुसार बनाए गए, अनियमित और अव्यवस्थित होते हैं| और जब किसी चीज में तार्किक क्रम या कहानी नहीं होती, तो इंसान को उसे याद रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

जागने के बाद का प्रभाव:

जब हम सो कर जागते हैं, तो हमारे दिमाग पर रोजमर्रा के काम और आसपास की चीज़ों का दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। जिसके कारण ये नई संवेदनाएँ सपनों की यादों को ढँकती हैं, और वे धीरे-धीरे हमारे दिमाग से गायब जाते हैं।

सपनों में रुचि की कमी:

वैसे तो ज्यादातर लोग अपने सपनों पर ध्यान नहीं देते, क्योंकि उन्हें इसमें रुचि नहीं होती है, जिसके कारण वे सपनों को जल्दी भूल जाते हैं। लेकिन जो लोग अपने सपनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वे उन्हें अधिक स्पष्टता और बार-बार याद कर सकते हैं।

यादों में बदलाव:

सपनों को याद करते समय हमारा दिमाग खुद से कल्पना करके या खाली जगह भरकर उन्हें व्यवस्थित करने की कोशिश करता है। इससे सपने की असली याद और हमारी बनाई हुई याद के बीच फर्क हो होता है। और इसी के कारण सोते समय दिमाग में बन गई यादें जागने के बाद मिटने लगती हैं|

सपनों का फिर से याद आना:

कभी-कभी कोई खास चीज़ या घटना ऐसी होती है जो हमें वो सपने याद दिला सकती है जिन्हें हम भूल चुके थे। विज्ञान में इस प्रक्रिया को अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है।

इससे ये पता चलता है कि सपनों को भूलना और सपनों को याद रखना दोनों ही जटिल प्रक्रियाएं हैं। कुछ सपने लंबे समय तक याद रहते हैं, जबकि बाकी तुरंत मिट जाते हैं, और इसके पीछे का कारण अब भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है।