क्या होता है यो यो टेस्ट, क्यों जरूरी है खिलाड़ियों को इसे पास करना-
आपने कई बारे यो यो टेस्ट की खबरों को जरूर सुना होगा, जब भारतीय टीम कोई सीरीज या किसी टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए जाती है तो इससे पहले भाग लेने वाले खिलाड़ियों का यो यो करवाना पड़ता है। यो यो टेस्ट के द्वारा यह पता चलता है कि खिलाड़ी खेलने के लिए कितने फिट हैं जो खिलाड़ी यो यो टेस्ट में फेल हो जाते हैं उनको आने वाली सीरीज या टूर्नामेंट से बाहर कर दिया जाता है। आज हम आपको यो यो टेस्ट के बारे में बताएंगे तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
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यो यो टेस्ट एक ऐसा टेस्ट होता जिसका प्रयोग खिलाड़ियों की फिटनेस का पता लगाने के लिए किया जाता है। सबसे पहले यो यो टेस्ट का प्रयोग फुटबॉल में कियाजाता था लेकिन इसके बाद में हॉकी में यह टेस्ट किया जाने लगा और अब यो यो टेस्ट का इस्तेमाल क्रिकेट में होने लगा है। अगर क्रिकेट की बात की जाए तो सर्वप्रथम आस्ट्रेलिया ने इस टेस्टका प्रयोग अपने खिलाड़ियों के लिए किया था, वर्तमान के समय सभी क्रिकेट खेलने वाले देश अपने खिलाड़ियों की फिटनेस का पता लगाने के लिए यो यो टेस्ट का इस्तेमाल करने लगे हैं, भारतीय टीम के खिलाड़ी भी यो यो टेस्ट के द्वारा ही टीम इंडिया का हिस्सा बनते हैं।
यह प्रक्रिया एक सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया होती है इसमे किसी प्रकार का मैनुअल काम नहीं होता है, भारत में यो यो टेस्ट बैगलोरमें मौजूद राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) मे किया जाता है और यहाँ पर खिलाड़ियों की फिटनेस का पता लगाया जाता है। इस यो यो टेस्ट को पास करने के लिए खिलाड़ियों को दो कोनों के बीच में दौड़ना पड़ता है, यह कोने एक दूसरे से 20 मीटर की दूरीपर स्थित होते हैं। जब सॉफ्टवेयर पहली बार बीप की आवाज करता है तो खिलाड़ी को पहले छोर से दौड़ना पड़ता है और जब खिलाड़ीदूसरे छोर पर पहुँच जाता है तो सॉफ्टवेयर दूसरी बार बीप की आवाज करता है, सॉफ्टवेयर खिलाड़ी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने के समय को रिकार्ड कर लेता है और फिर प्रोसेस करके खिलाड़ी का फिटनेस स्कोर बता देता है और यह भी बता देता है खिलाड़ी फिट है या अनफ़िट है।
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भारतीय टीम का हिस्सा बनने के लिए यो यो टेस्ट में किसी भी खिलाड़ी को 19.5 या इससे आधिक स्कोर लाना पड़ता है,अगर किसी खिलाड़ी का 19.5 सेकम स्कोर आता है तो वह खिलाड़ी अनफ़िट माना जाता है