Durga Visarjan 2022: कब मनाया जायेगा दुर्गा विसर्जन का त्योहार, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि-
दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है वैसे साल भर में चार बार नवरात्रि होते हैं जिनमे से माघ और आषाढ़ के महीने में गुप्त नवरात्रि मनाए जाते हैं और चैत्र के महीने में चैत्र नवरात्रि और आश्विन के महीने में शारदीय नवरात्रि मनाये जाते हैं। नवरात्रि हिन्दू धर्म का पवित्र त्योहार होता है यह त्योहार माता दुर्गा जी को समर्पित होता है जो नौ दिनों तक चलता है, इस दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।
देवी माता के पावन 9 दिन का पर्व नवरात्र के नाम से जाना जाता है, शारदीय नवरात्रि इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को 26 सितंबर 2022 से शुरूहोकर 4 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। माता के नवरात्रि के दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है, नवरात्रि के बाद 5 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा और इसी दिन माता दुर्गा जी का विसर्जन भी किया जाता है। दोस्तों आज हम आपको नवरात्रि के अंत मे माता दुर्गा जी की मूर्ति विसर्जन के बारे में बताने जा रहे हैं और आपको यह भी बताने वाले हैं इस वर्ष दुर्गा विसर्जन कब मनाया जाने वाला है, क्या शुभ मुहूर्त और पूजन विधि है।
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दुर्गा विसर्जन 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन दशहरा के दिन किया जाता है। इस साल दुर्गा विसर्जन 05 अक्टूबर 2022 को है। विजयादशमी यानी दशमी के दिन जगत जननी की प्रतिमा का विसर्जन कर मां को विदाई दी जाती है।
दुर्गा विसर्जन 2022 शुभ मुहूर्त
अश्विन माह की दशमी तिथि 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन अगले दिन 5 अक्टूबर 2022 को 12 बजे होगा। ऐसे में प्रात: काल मुहूर्त में दुर्गा विसर्जन करना शुभ होगा।
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माता दुर्गा विसर्जन विधि
शास्त्रों में मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करने से पहले उनकी विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। घटस्थापना में बोए जवारे दुर्गा विसर्जन के दिन परिवार में बांटने चाहिए और थोड़े जवारे अपने पास तिजोरी में रखें इससे धन की कमी नहीं होगी, बाकी बचे हुए जवारे को नदी में प्रवाहित कर दें। इन्हें फेंके नहीं नहीं तो देवी नाराज हो जाएंगी। नौ दिनों तक मां दुर्गा को चढ़ाई गई सभी सामग्री को इधर-उधर फेंके नहीं बल्कि इसे भी मां दुर्गा के साथ विसर्जित कर दें। ध्यान रहे इन पर पैर न लगे।