Holi 2021: होली की अजीब परम्परायें, कहीं पर खूनी होली तो कही पर एक दूसरे पर फेंके जाते हैं आग के अंगारे-
होली हम भारतीयों का ऐसा पर्व है जिसके बारे में सम्पूर्ण भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व जानता है। इस पर्व को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल ,बांग्लादेश ,कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस ,चीन जैसे कई देशो में यह पर्व अलग अलग नाम से भव्य स्तर पर मनाया जाता है।
भारत में भी इस त्यौहार को सभी वर्गो के लोग बहुत व्यापक रूप में मानते है, इस होली के त्यौहार को में इतनी मिठास है की लोगो की वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को खुशियों का त्यौहार भी कहा गया है, ऐसा माना जाता है कि होली कात्योहार हजारों सालो से मनाया जा रहा है, होली का यह पर्व बुराई परअच्छाई की विजय का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
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हमारे देश में कुछ ऐसी भी परम्परायें निभाई जाती है जिन्हे केवल हम होली पर ही देख सकते हैं, कहीं पर फूलों से होली खेली जाती हैं तो कहीं पर एक दूसरे के ऊपर अंगारे फेंके जाते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही होली की परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
1.इस गांव में लोग होली के दिन मनाते हैं मातम-
होली हिन्दुओ के सबसे बड़े तत्योहारों में से एक होता है और इसे खुशी और उल्लास का त्योहार के रूप में मनाया जाता है लेकिन राजस्थान राज्य में एक ऐसी भी जगह हैं जहां पर लोग होली को मातम के रूप में मनाते हैं। पुष्करणा ब्राह्मण समाज के चोवटिया जोशी जाति के लोग होली दिन खुशी मनाने के बजाय इस दिन मातम मनाते हैं, इसके अलावा जब से होलाष्टक लग जाता है तब से लोगों के घरों में चूल्हा भी नहीं जलता है। इस परंपरा के पीछे गाँव वालों का तर्क यह है कि पुष्करणा समाज की महिला अपने पुत्र को लेकर होली की परिक्रमा कर रही थी तभी उसका बच्चा होलिका की आग में गिर जाता है जिसके बाद बच्चे की माँ भी उसी आग में कूद गई थी जिसके बाद उन दोनों की मौत हो गई थी तभी से उस गाँव के लोग आजतक होली को शोक के रूप में मनाते हैं।
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2.अंगारे से होली खेलने की परंपरा-
मध्य प्रदेश राज्य में होली की एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, मध्य प्रदेश के मालवा पठार के निकट कुछ इलाकों के लोग अंगारों से होली खेलते हैं। यहाँ के लोग होली के दिन एक दूसरे पर अंगारे फेंकते हैं, इसके पीछे की वजह लोग मानते हैं कि इससे होलिका राक्षसी का अंत हो जाता है।
3.यहाँ पर खेली जाती है खूनी होली-
होली को रंगों का त्योहार माना जाता है, होली के दिन सभी लोग एक दूसरे पर रंग डालकर खेलते हैं लेकिन एक गाँव ऐसा भी है जहां पर लोग खून की होली खेलते हैं। यह परंपरा राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगपुर जिले में रहने वाले जनजाति समुदाय के लोग होलिका दहन के एक दिन बाद आग पर चलते हैं और फिर इसके बाद लोग लोग अलग-अलग टोलियों में चले जाते हैं। अलग-अलग टोलियों के लोग एक दूसरे पर पत्थर पर मारते हैं जिससे लोगों के खून निकलने लगता है, लोगों का ऐसा मानना है कि पत्थर मारने से जो खून निकलता है वो आने वाले दिनों में उनके कष्टों को खत्म कर देता है।
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4.लड़की के गुलाल लगाने पर हो जाती है शादी
हमारे देश में होली का त्योहार अलग-अलग राज्य में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, ऐसी ही एक परंपरा है जहां पर लड़की को रंग लगाने पर उसकी शादी हो जाती है। होली के दौरान भील जनजाति के आदिवासी लोगों भगोरिए मेले मानते हैं, जिसमें लोग अपना जीवन साथी की खोज करते हैं। इस मेले में आदिवासी जनजाति के लड़के एक विशेष प्रकार का वाद्य यंत्र बजाते हैं और इसी की धुन पर नाच करते हैं। इस मेले में यदि कोई लड़का किसी लड़के को रंग लगा देता है तो इसका अर्थ यह होता है कि दोनों लोग एक दूसरे से शादी करने के लिए सहमत हो गए हैं, फिर इसके बाद दोनों लड़के और लड़की मेले से भाग जाते हैं और तब तक वापिस नहीं आते हैं जब तक उनके परिवार वाले विवाह के लिए सहमत नहीं हो जाते हैं।