पितृपक्ष विशेष : अपने पितरों को खुश करने के लिए जरूर सुने ये आरती, मंत्र और भजन, पितरों के आशीर्वाद से बनेंगे काम-
दोस्तों इस समय आश्विन का महिना चल रहा है, और इस महीने में होने वाले पितृपक्ष का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है, हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पितरों के श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, पितृपक्ष का समय 15 दिनों का होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार लोगों की ऐसी मान्यता होती है कि पितृपक्ष के इन 15 दिनों के दौरान हमार पितर स्वर्गलोक से इस धरती पर आते हैं और हमारे पूर्वज किसी का भी रूप लेकर हमारे घर के अंदर आ सकते हैं, इसलिए हमें ऐसा कोई भी काम करने से बचना चाहिये जिससे उनका अपमान होता है। पितृपक्ष के दौरान बहुत सारी चीजों को करने से मना किया जाता है, हमें इस दौरान ऐसे कामों को करना चाहिये जिससे हमारे पूर्वजों को खुशी मिलती है।
दोस्तों क्या आपको मालूम है कि पितरों को खुश करने के लिए विशेष प्रकार की आरती और भजन भी होते हैं, जिससे हमारे पूर्वज खुश हो जाते हैं और वो हमको आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष के दौरान यदि हम अपने पूर्वजों को याद करते हुए आरती करते हैं तो हमें माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता और हमारे घर में प्रसन्नता बनी रहती है।
पितृपक्ष के दौरान अपनी पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध के समय पूरे विधि और विधान से पूजा और तर्पण करने की परंपरा होती है, यदि आप इस समय रोजाना आरती करते हैं तो आपके अंदर पोजीटीविटी आती है और इसका एहसास आपको खुद महसूस होता है, यह इस बात का संकेत भी होता है कि आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिल रहा है। हमें पितृपक्ष के दौरान रोजाना आरती जरूर करनी चाहिये, सुबह स्नान आदि करने के बाद अपने पूर्वजों की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिये, इससे आपको मानसिक शांति का एहसास होने लगता है, ऐसा करने से आपके पूरे परिवार में सकारात्मकता का संचार होता है और पूरे परिवार को पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
पितृ देव का सुंदर भजन
पितृपक्ष पर सुनें ये मंत्र
पितरों का ध्यान कर सुनें ये भजन मिलेगी उनकी कृपा
श्री पितर जी की आरती
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे।। जय।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।। जय।।
देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।। जय।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।। जय।।