बाल गंगाधर तिलक के अनमोल विचार
1. स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे जरूर लेकर रहूँगा।
2. भगवान यदि छुआ छूत को मानता है तो उसे भगवान नहीं कहूँगा।
3. प्रगति स्वतंत्रता में मौजूद होती है बिना स्वशासन के ना ही औद्योगिक विकास संभव है और ना ही राष्ट्र के लिए शैक्षिक योजनाओं की कोई महत्व है इसलिए देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना समाजिक सुधारों से ज्यादा जरूरी है।
4. हो सकता है की भगवान की इच्छा हो कि मैं जिस कारण का प्रतिनिधित्व करता हूँ उसे मेरे आजाद रहने से ज्यादा मेरे दर्द में रहने से ज्यादा फायदा मिले।
5. ये सही है कि बारिश के कारण ही अकाल पड़ा है लेकिन ये भी सत्य है हमारे लोगों में इस बुराई से जीतने की शक्ति नहीं है।
6.भारत में गरीब का जिम्मेदार पूर्ण रूप से वर्तमान शासन है।
7.भारत का खून तब तक बहाया जा रहा है जब तक भारत का कंकाल ना शेष बच जाये।
8. यदि हम किसी भी देश के अतीत में जाते हैं तो हम अंत में मिथक और परंपराओं के काल में पहुँच जाते हैं जो आखिरकर ना भेदने वाला अंधकार होता है।
9. कमजोर ना बने शक्तिशाली बने और हमेशा ये विश्वास रखे की ईश्वर हमेशा आपके साथ है।
10. आपका लक्ष्य किसी जादू से पूरा होने वाला नहीं है आपको अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी।
11. मानव का स्वभाव ही ऐसा है कि हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते हैं उत्सव प्रिय होना मानव की प्रकृति होती है
12. कर्तव्य के मार्ग पर गुलाब जल नहीं छिड़का होता है और ना ही उसमे गुलाब उगते हैं।
13.आप केवल क्रम करते जाइए और उसे परिणामों पर ध्यान ना दीजिये।
14. जब लोहा गरम हो तबही उस चोट कर दीजिए आपको जरूर ही सफलता का यश प्राप्त होगा।
15. मनुष्य का प्रमुख लक्ष्य भोजन को प्राप्त करना नहीं होता है एक कौवा भी जिंदा रहता है और जूठन पर पलता है।