एक प्रेरणा दायक कहानी 'परमात्मा और किसान'-
एक बार की बात है एक गाँव में एक किसान रहता था एक दिन वो किसान परमात्मा से बहुत नाराज हो गया, नाराज होने के पीछे का कारण यह था कि जब भी किसान कोई फसल बोता था तो कभी सूखा पड़ जाता था या कभी बाढ़ आ जाती थी या कभी ओले पड़ जाते थे इस तरह उस किसान की फसल हर बार खराब हो जाती थी। एक दिन किसान बड़ा परेशान होकर परमात्मा से कहा, "देखिए परमात्मा जी आप भगवान है लेकीन हमें लगता है आपको खेती से जुड़ी हुई कोई जानकारी नहीं है इसलिए दया करके आप मुझे एक बार एक साल के लिए अवसर प्रदान करें मैं जैसा चाहूँ वैसा मौसम हो जाए फिर आपने देखना किस प्रकार से मैं अन्न भंडार भर दूंगा" भगवान मुस्कुरा दिए और बोले ठीक है जैसा तुम चाहते हो वैसा ही मौसम मैं कर दूंगा मैं इसमे किसी प्रकार का हस्ताक्षेप नहीं करूंगा।
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फिर एक दिन किसान ने गेहूँ की फसल बो दी जब उसको धूप जरूरत थी तब उसको धूप मिल गई और जब पानी की जरूरत पड़ी तो उसे पानी मिल गया है उस किसान ने अपनी मर्जी से तेज धूप, ओले, बाढ़, और आंधी को कभी आने नहीं दिया, धीरे-धीरे उसकी फसल बढ़ने लगी और किसान बहुत प्रसन्न हुआ क्योंकि आजतक उसने ऐसी फसल कभी नहीं देखि थी किसान ने अपने मन मे सोचा अब किसान को पता चलने वाला है कि फसल कैसे की जाती है। धीरे-धीरे फसल पककर तैयार हो गई और फसल कटने का समय भी आ गया, किसान बड़ी खुशी के साथ अपनी फसल काटने के लिए गया पर ये क्या ? किसान जैसे ही फसल काटना शुरू किया उसे एकदम से जोरदार धक्का लगा क्योंकि गेंहू की बाली में एक भी गेंहू नहीं था पूरी बाली अंदर से एकदम खाली थी वह बड़ा दुखी हो गया और परमात्मा से पूछा ही भगवान ये क्या हो गया है ?
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तब परमात्मा ने उत्तर दिया-
"ये तो होना थी था तुमने गेंहू के पौधों को संघर्ष करने के लिए थोड़ा भी अवसर नहीं दिया ना उनको तेज धूप में तपने दिया और ना ही उन्हे आंधी और ओलों से लड़ने दिया तुमने उनको किसी प्रकार की चुनौती का एहसास नहीं होने दिया इसीलिए ये सारे पौधे खोखले रह गए हैं। जब आंधी आती है या तेज बारिश होती है तब पौधा अपनी क्षमता से खड़ा रहता है और अपने आप को बचाने के लिए लड़ाई करता है और इस संघर्ष से उसे जो बल मिलता है वही उसको शक्ति प्रदान करत है सोने को कुंदन बनने के लिए पहले आग में तपना पड़ता है और फिर हथौड़ी की मार खानी पड़ती है तभी वो स्वर्णिम रूप धारण कर पता है।"
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दोस्तों ठीक उसी तरह अगर जिंदगी में चुनौती ना हो हर कोई अंदर से खोखला बन जाता है उस व्यक्ति के अंदर किसी प्रकार का कोई गुण नहीं आ पाता है, इन चुनौतियों से व्यक्ति सशक्त बनता और प्रतिभा शाली बनकर उभरता है, इसलिए चुनौतियों से नहीं डरना चाहिये और उन्हे स्वीकार करना चाहिये नहीं तो हम लोग भी अंदर से खोखले बन जाएंगे।।