ज़ख्म क्या होता है ये बताएँगे किसी रोज,
कमाल की ग़ज़ल तुमको सुनाएंगे किसी रोज,
थी उन की जिद के मैं जाऊं उनको मनाने,
मुझे ये वहम था कि वो बुलाएँगे किसी रोज।
Zakhm Kya Hota Hai Ye Bataenge Kisi Roj,
Kamaal Ki Gazal Tumko Sunaenge Kisi Roj,
Thi Un Ki Jid Ke Main Jaoon Unko Manane,
Mujhe Ye Vaham Tha Ki Vo Bulaenge Kisi Roj,