मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। समाज में उस समय छुआछूत, स्त्रियों को वेद पढ़ने की अनुमति ना होना, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह ना होना आदि बहुत सी बुराइयों को विरोध करके उन्हे दूर करने का प्रयास किया। आज हम आपको स्वामी दयानंद सरस्वती जी के कुछ अनमोल विचार और प्रेरक कथन बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए जीवन में प्रेरणा का काम करने वाले हैं, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।