नेता जी सुभाष चंद्र बोस

नेता जी सुभाष चंद्र बोस

नेता जी सुभाष चंद्र बोस

नेता जी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में वहाँ के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ के घर में हुआ था। इनकी माता का नाम प्रभावती देवी था।

 

सुभाष जी के पिता ने अंग्रेजों के विरोध में अपनी "रायबहादुर" की उपाधि को वापिस कर दिया था। जिसको देखकर बोस जी के मन अंग्रेजों के प्रति दुश्मनी की आग और तेज हो गयी। बोस ने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने और भारत देश को आजाद कराने का आत्मसंकल्प कर लिया और देश को स्वतंत्र कराने के लिए निकल पड़े।

 

आईएएस की परीक्षा को पास करने के बाद बोस जी ने आईएएस के पद से इस्तीफा दे दिया। आईएएस से इस्तीफा देने के बाद बोस के पिता जी ने उसने कहा- "जब तुमने देश की सेवा का निर्णय कर लिया है तो तुम कभी भी इस मार्ग से विचलित नहीं होना। "

 

दिसंबर 1927 को बोस को कॉंग्रेस के महासचिव के पद के चुना गया और फिर 1938 में इन्हे कॉंग्रेस का अध्यक्ष भी चुना गया। बोस जी ने कहा था- मेरी ये दिल से इच्छा है की मैं महात्मा गांधी जी के नेतृत्व भारत के आजादी की लड़ाई साथ मे लड़ूँ। हमारी लड़ाई केवल ब्रिटिश  साम्राज्यवाद  से नहीं बल्कि हमारी लड़ाई विश्व साम्राज्यवाद से है।

 

16 मार्च 1939 को बोस जी ने कॉंग्रेस के अध्यक्ष पड़ से इस्तीफा दे दिया। सुभाष चंद्र बोस जी ने युवाओ को संगठित करके आजादी के आंदोलन को नई दिशा देने का भरपूर प्रयास किया और वो इसमें सफल भी रहें। इस आंदोलन की शुरुआत 4 जुलाई 1943 को सिंगापूर से "भारतीय स्वाधीनता सम्मेलन" के नाम से हुई। 5 जुलाई 1943 को "आजाद हिन्द फौज" का गठन हुआ। 

 

21 अक्टूबर 1943 को एशिया के अलग-अलग देशों मे जो भारतीय रहते थे उनका सम्मेलन करके उसमे अस्थायी भारत की सरकार की स्थापना करके नेता जी ने आजादी को लेने के संकल्प को फिर से दोहराया।

 

12 जुलाई 1944 को रंगून के जुबली हाल में शहीद यतीन्द्र दास की याद में नेता जी एक बहुत ही मार्मिक भाषण मे कहा-"अब हमारी आजादी मिलना तय है लेकिन आजादी हमसे बलिदान की मांग करती है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा। " इस भाषण ने  देश के युवाओं में जान फूँकनें का काम किया। 

 

16 अगस्त 1945 को जापान की राजधानी टोक्यो से आते हुए ताईहोकू नामक हवाई अड्डे पर विमान के दुर्घटना ग्रस्त हो जाने के कारण नेता जी सुभाष चंद्र बोस इस दुनिया से चल बसे। इसी दिन स्वतंत्र भारत ना नारा बुलंद करने वाला, भारत माँ दुलारा हमेशा के लिए देशप्रेम की दिव्य ज्योति को जलाकर हमेशा के लिए अमर हो गया।