भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई 25 रोचक जानकारी-
दोस्तों भगवान श्री कृष्ण को कौन नहीं जानता है, द्वापर युग में भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण के रूप में इस धरती पर अवतार लिया था और पापों का नाश करके पुनः धर्म की स्थापना की थी। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म भादप्रद की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसी दिन हर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। आज हम आपको श्री कृष्ण से जुड़ी हुई 25 रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आपको भी बहुत प्रसन्नता होने वाली है, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
1.क्या आपको मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण का रंग काला या सांवला नहीं था बल्कि श्री कृष्ण जी का रंग मेघश्यामल था।
2.आपकी जानकारी के लिए बता दें भगवान श्री कृष्ण के शरीर से एक प्रकार की मादक गंध आती रहती थी जिसको छुपाने के लिए श्री कृष्ण हर तरह के प्रयास करते रहते हैं ताकि उनके बारे में किसी को जानकारी ना मिल पाये।
3.दोस्तों क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण की परदादी जिनका नाम 'मारिषा' था और उनकी सौतेली माँ जो बलराम की माता रोहिणी थी वो 'नाग' जनजाति से जुड़ी हुई थी।
4.भगवान श्री कृष्ण मनोरम रूप में अपने शरीर पर पीले रंग के वस्त्र धारण किये हुए थे और सिर पर मुकुट रहता था तथा श्री कृष्ण गले में बैजयंती माला धारण करते थे और हाथों में मुरली लिए रहते थे जो लोगों को बहुत ज्यादा प्रिय लगती थी, और आज भी श्री कृष्ण के इस रूप को पसंद किया जाता है।
5.भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय जो कन्या बदली गई थी उसका नाम एकानंशा था, जिसको आज हम लोग माता विंध्यवासिनी के रूप में पूजा करते हैं।
6.भगवान श्री कृष्ण से कई बड़े युद्ध जैसे 1- महाभारत, 2- जरासंध और कालयवन के विरुद्ध 3- नरकासुर के विरुद्ध आदि का सफल संचालन किया और विजय भी प्राप्त की थी।
7.आपकी जानकारी के लिए बता दें भगवान श्री कृष्ण अंतिम के वर्षों को छोड़ दिया जाये तो वो कभी भी द्वारिका पूरी में 6 महीने से अधिक समय तक निवास नहीं किया था। भगवान श्री कृष्ण ने दो प्रमुख नगर द्वारिका और पांडव की राजधानी इंद्रप्रस्थ की स्थापना की थी।
8.भगवान श्री कृष्ण जी ने श्रीमद्भगवतगीता के रूप में आध्यात्मिकता की व्याख्या दी है, जो मानवता के लिए आज भी सबसे बड़ा संदेश है और आने वाले समय में भी रहेगी, भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभागवतगीता के अलावा अनुगीता, उद्धव गीता के रूप में भी गीता का ज्ञान दिया था।
9.श्री कृष्ण की तीन बहने भी थी, एकानंगा जो माता यशोदा की पुत्री थी और सुभद्रा द्रौपदी थी इसके अलावा श्री कृष्ण के भाई नेमिनाथ, बलराम और गद प्रमुख थे।
10.भगवान श्री कृष्ण के असली माता देवकी और पिता वासुदेव थे लेकिन उनका लालन और पालन गोकुल गाँव में माता यशोदा और नंदबाबा के यहाँ हुआ था, इसके अलावा श्री कृष्ण ने इन्हीं के साथ अपनी सभी सौतेली माता रोहिणी आदि सभी के सात बराबरी का रिश्ता रखा।
11.भगवान श्री कृष्ण जी की बुआ का नाम कुंती था और दूसरी बुआ का नाम सुतासुभा था, माता कुंती के पुत्रों को पांडव के नाम से जाना जाता था और सुतासुभा के पुत्र का नाम शिशुपाल था।
12.दोस्तों यह बात हैरान कर देने वाली है, जब श्री कृष्ण जी परम धाम के लिए जा रहे थे तब उनका एक भी केश सफेद नहीं हुआ और ना ही उनके शरीर में किसी प्रकार की झुर्रियां दिखाई दे रही थी।
13.आपको यह बात जरूर मालूम होनी चाहिये कि भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा रानी के आठ और सखी थी जिनके नाम 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी थे।
14.दोस्तों यह बात हैरान कर देने वाली है, जब श्री कृष्ण जी परम धाम के लिए जा रहे थे तब उनका एक भी केश सफेद नहीं हुआ और ना ही उनके शरीर में किसी प्रकार की झुर्रियां दिखाई दे रही थी।
15.आपको यह बात जरूर मालूम होनी चाहिये कि भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा रानी के आठ और सखी थी जिनके नाम 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी थे।
16.श्री कृष्ण जी ने अपनी बहन सुभद्रा का विवाह अपनी बुआ के तीसरे नंबर के पुत्र अर्जुन के साथ किया था, इसके अलावा श्री कृष्ण जी ने अपने पुत्र सांब का विवाह कौरव राजकुमार दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा के साथ किया था।
17.भगवान श्री कृष्ण जी के गुरु का नाम संदीपनी था और उनका आश्रम अवन्तिका में था जिसको आज उज्जैन के नाम से जाना जाता है, इसके साथ-साथ श्री कृष्ण के गुरु इसके अलावा उनके गुरु गर्ग ऋषि, घोर अंगिरस, नेमिनाथ, वेदव्यास आदि थे।
18.ज्यादातर लोगों को यह विश्वास है कि अर्जुन ही सबसे बड़े धनुर्धर थे लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें भगवान श्री कृष्ण इस विद्या में अर्जुन से बहुत आगे थे। मद्र राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में जिसकी प्रतियोगिता द्रौपदी स्वयंवर के ही समान परंतु और कठिन थी। यहां कर्ण व अर्जुन दोंनों असफल हो गए और तब श्री कॄष्ण ने लक्ष्यवेध कर लक्ष्मणा की इच्छा पूरी की, जो पहले से ही उन्हें अपना पति मान चुकीं थीं।
19.भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग था और चक्र का नाम सुदर्शन था, यह चक्र लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य करने में सक्षम था और उसके बराबरी के केवल दो अस्त्र ही थे जिनका नाम पाशुपतास्त्र और प्रस्वपास्त्र थे।
20.कलारीपट्टु का प्रथम आचार्य भगवान श्री कृष्ण को माना जाता था, इसी कारण नारायण सेना भारत की सबसे शक्तिशाली सेना बन गई थी। भगवान श्री कृष्ण जी ने ही कलारीपट्टु की नींव रखी जो बाद में बोधिवर्मन से होते आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हो गई है।
21.भगवान श्री कृष्ण के आठ पत्नियाँ थी जिनके नाम इस प्रकार हैं, रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा ।
22.क्या आपको श्री कृष्ण के बाल सखा के नाम मालूम हैं हो सकता है कि एक दो के नाम जानते हैं लेकिन श्री कृष्ण के कई सारे बाल सखा जैसे मधुमंगल, सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, श्रीदामा, सुदामा, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद और बुद्धिप्रकाश थे।
23.भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी शिक्षा को अवन्तिका में गुरु संदीपनी जी के आश्रम में पूरा किया था और महज कुछ महीने के अंदर 16 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
24.बाल सखा के साथ-साथ श्री कृष्ण के बाल सखी भी थी जिनके नाम चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी थी।
25.एक मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्री राम ने बाली को छुपकर मारा था, इसलिए द्वापर युग में उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया गया था और भगवान श्री कृष्ण ने वैसी ही मौत को चुना था जैसी त्रेता युग में बाली को मिली थी।