सिख धर्म के प्रसिद्ध लंगर से जुड़ी हुई रोचक जानकारी

सिख धर्म के प्रसिद्ध लंगर से जुड़ी हुई रोचक जानकारी

सिख धर्म के प्रसिद्ध लंगर से जुड़ी हुई रोचक जानकारी-
देश का तीसरा सबसे बड़ा धर्म सिख धर्म है, वैसे तो पूरी दुनिया में सिख समुदाय के अधिक लोग नहीं रहते हैं लेकिन अपने देश में दुनिया के सबसे ज्यादा सिख धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। सिख धर्म के लोग शांत स्वभाव के के होते हैं और अपने अंदर सेवा भाव हमेशा रखते हैं। सिख धर्म के लोगों का कहना होता है की देश में कोई भी भूखा नहीं होना चाहिये इसलिए आपको अक्सर गुरुद्वारों में लंगर चलते हुए मिल जाते हैं, इन लंगरों में रोजाना लाखों लोग प्रसाद खाते ,हैं देश में कई सारे ऐसे भी गुरुद्वारे जहां पर पूरा दिन लंगर चलता रहा है इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर है। गुरुद्वारे में मिलने वाला प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट होता है और यहाँ पर सभी वर्ग के लोग एक साथ बैठकर लंगर खाते हैं। आज हम आपको लंगर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं तो बने रहिये हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 

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सिख धर्म के सबसे बड़े गुरु नानक देव से जुड़ी हुई एक प्रसिद्ध कहानी है, यह कहानी इस प्रकार है की गुरु नानक देव के पिता जी ने नानक जी को व्यापार करने के लिए कुछ पैसे दिए और फिर नानक जी के कहा की बजार जाओ और इन पैसों से कुछ काम करके कमा कर लाओ, गुरु नानक जी पिता जी के दिए हुए पैसों को लेकर बजार की ओर जा रहे थे की तभी उन्हे रास्ते में कुछ भिखारी दिखाई दिए वो भिखारी बहुत भूखे थे, नानक जी को देखकर रहा नहीं गया और उन्होंने पिता जी के दिए हुए पैसों से उन भिखारियों को खाना खिला दिया और फिर वापस अपने घर या गये। नानक जी को देखकर उनके पिता जी उन पर बहुत क्रोधित हुए लेकिन नानक जी अपने पिता से कहा कि सेवा करना  ही सबसे बड़ा लाभ होता है। 

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गुरुद्वारे में चलने वाले लंगर के पीछे की वजह इस बात को माना जाता है वजह यह है, लंगर की प्रथा को गुरु नानक जी ने शुरू किया था और उसके बाद जितने भी सिख धर्म के गुरु हुए उन्होंने इस प्रथा को जारी रखा। सिख धर्म के अनुसार भोजन पर सबका अधिकार होता है, 
भोजन सभी को मिलना चाहिये चाहे वो व्यक्ति अमीर हो या गरीब हो किसी ऊंची जाति का हो या किसी नीच जाति को यदि वो व्यक्ति भूखा है तो उसे भोजन अवश्य खिलाना चाहिये, इसलिए बहुत सारे गुरुद्वारों में दिन रात लंगर चलते रहते हैं। 

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सिख धर्म के सबसे बड़े गुरु नानक देव के अनुसार किसी का गुरु बनने का अर्थ यह नहीं होता है कि वो व्यक्ति गद्दी पर बैठ गया तो गुरु बन गया, गुरु बनने वाले व्यक्ति को हर किसी से मिलना चाहिये और सभी के साथ भोजन करना चाहिये और सबसे प्रेम करना चाहिये तभी आपको असली खुशी प्राप्त होती है। इसलिए आपको अमृतसर के स्वर्ण मंदिर मे चार दरवाजे देखने को मिलते हैं इसका अर्थ यह होता है कि हर किसी के लिए उनके चारों दरवाजे खुले होते हैं।