Bada Hanuman Mangal 2022: इन ज्येष्ठ महीने के बड़े मंगल में कीजिये हनुमान चालीसा और मंत्रों का जाप

Bada Hanuman Mangal 2022: इन ज्येष्ठ महीने के बड़े मंगल में कीजिये हनुमान चालीसा और मंत्रों का जाप

Bada Hanuman Mangal 2022: इन ज्येष्ठ महीने के बड़े मंगल में कीजिये हनुमान चालीसा और मंत्रों का जाप, सारे कष्ट होंगे दूर-

दोस्तों हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मंगलवार के दिन को हनुमान जी का दिन माना जाता है, हमारे धर्म में हनुमान जी को प्रमुख देवता माना जाता है और इनको चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला है जिसके चलते हनुमान जी कलियुग में भी मौजूद हैं। मंगलवार को हनुमान जी का प्रमुख दिन माना जाता है, इस दिन जो भी व्यक्ति हनुमान जी पूजा करता है उसकी सभी बाधायें दूर हो जाती हैं और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

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ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले मंगलवार को बुढ़वा मंगल या फिर बड़े मंगल के रूप में जाना जाता है, इन मंगलवार के दिन हनुमान जी पूजा और आराधना से हनुमान जी आशीर्वाद प्राप्त होता है और हनुमान जी आपके सारे कष्टों को दूर कर देते हैं। आज हम आपके लिए हनुमान जी की चालीसा और कुछ मंत्र लेकर आये हैं जिनका जाप करने से आपको चमत्कारिक फायदे मिलेंगे, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 


हनुमान जी के प्रभावशाली मंत्र 

1. ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:
हनुमान जी के मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति हो जाती है और दुखों से मुक्ति भी मिल जाती है इसलिए आपको मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिये। 

2. हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र: नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा
हनुमान जी के इस चमत्कारिक मंत्र का जाप करने से कई सारे लाभ मिलते हैं, जो व्यक्ति मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप करता है तो उसके घर में धन में बढ़ोत्तरी होने लगती है और उसको किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। 

3. ॐ पवन नन्दनाय स्वाहा
यह मंत्र हनुमान जी का विशेष मंत्र होता है जो भी व्यक्ति मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप करता है तो उसे सिद्धि की प्राप्ति भी हो सकती है। 

4. ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति प्रेत बाधा से बचा रहता है और वह नकारात्मक शक्तियों से भी दूर रहता है इसलिए जब भी आपको ऐसी परेशानी होती है तो आपको इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिये। 

5. ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
हनुमान जी के इस मंत्र को यदि मंगलवार या फिर शनिवार के दिन जाप करने से व्यक्ति के शत्रु उसपर अपना प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं और उसको अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। 

6. मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन।
हनुमान जी के इस मंत्र को यदि मंगलवार के दिन जाप किया जाता है तो नौकरी लगने में जो भी बाधायें आ रही हैं वो जल्द ही दूर हो जाती है और आपको अच्छी नौकरी मिल जाती है इसलिए आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिये। 

7. मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी।
रोजाना हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं भी पूरी होने लगती हैं इसलिए आपको इस मंत्र को रोजाना जाप करना चाहिये। 

8. ऊं हं हनुमते नम:
हनुमान जी का यह मंत्र बेहद प्रभावकारी मंत्र माना जाता है, इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सारे कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं इसलिए हमें इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिये। 

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ये है पूरी हनुमान चालीसा-

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 
 
चौपाई :
 
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।