कब है दशहरा का त्योहार, कब है शुभ मुहूर्त और क्या है पूजन विधि

कब है दशहरा का त्योहार, कब है शुभ मुहूर्त और क्या है पूजन विधि

कब है दशहरा का त्योहार, कब है शुभ मुहूर्त और क्या है पूजन विधि-

दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में दशहरा का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया है, इस त्योहार को हम लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर साल मनाते हैं। दशहरा मनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह भगवान श्री राम जी ने इसी दिन लंका के राजा रावण का वध करके अच्छाई पर जीत हासिल की थी और दुनिया को यह संदेश दिया था कि बुराई चाहे कितनी भी मजबूत क्यों ना हो लेकिन अच्छाई से उसे आखिर में परास्त होना ही पड़ता है। दशहरा का त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसी माता दिन माता दुर्गा जी के नवरात्रि की समाप्ति होती है और उनकी मूर्ति को बड़ी धूम-धाम से नदी में विसर्जित किया जाता है।

 

वैसे तो नवरात्र से ही शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है और दशहरे के दिन को किसी काम को शूरु करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, आज हम जानने जा रहे हैं इस वर्ष दशहरा का त्योहार किस दिन पड़ने वाला है और इसकी शुभ मुहूर्त कब से कम तक होने वाली है और दशहरा के पूजन विधि को जानने जा रहें हैं तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 

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कब है इस वर्ष का दशहरा-
दोस्तों इस वर्ष के शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर 2021 से हो रही है जो 14 अक्टूबर 2021 तक चलने वाले हैं, इस वर्ष का दशहरा 15 अक्टूबर 2021 को होने वाला है। दशहरा का त्योहार इस वर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जायेगा और इसी दिन माता दुर्गा जी की पवित्र मूर्ति को विसर्जित भी किया जायेगा। 

 

कब है दशहरा का शुभ मुहूर्त-
इस साल के दशहरे का त्योहार 15 अक्टूबर 2021 को होने वाला है, जिसका शुभ मुहूर्त 2 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 47 मिनट तक चलने वाला है, इस बार दशहरा का शुभ मुहूर्त केवल 46 मिनट का ही होने वाला है। दोपहर के दौरान पूजा का समय 1 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 33 मिनट चलने वाला है, इसलिए इस समय पूजा करना सबसे शुभ होने वाला है। 

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दशहरा की शस्त्र पूजन विधि-
दशहरा के दिन बहुत सारे लोग शस्त्र पूजन का आयोजन करते हैं, क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान पुरुषोत्तम श्री राम जी पापी रावण को परास्त करने के लिए शस्त्र पूजन की शुरुआत की थी। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन के लिए सबसे पहले सुबह उठ जाना चाहिये और स्नान करके साफ कपड़ों को धारण करना चाहिये, फिर सभी शस्त्रों को पूजा करने के लिए बाहर निकाल लेना चाहिये। शस्त्रों पर गंगाजल को डालना चाहिये, और इन पर  हल्दी या कुमकुम का तिलकतिलक लगाकर पुष्प अर्पित करने चाहिये, इस दिन हमें  महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा सच्चे मन के साथ करनी चाहिये।  महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजाकरने से सारे कष्टों का नाश हो जाता है और हमें हर क्षेत्र में जीत हासिल होती है।