किस दिन से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि, कब है घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-
दोस्तों इस समय पितृपक्ष चल रहा है जो 6 अक्टूबर तक चलने वाला है इसके बाद माता के पवित्र नवरात्र शुरू हो जाएंगे। देवी माता के पावन 9 दिन का पर्व नवरात्र के नाम से जाना जाता है, शारदीय नवरात्रि इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को 7 अक्टूबर 2021 से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। माता के नवरात्रि के दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है, नवरात्रि के बाद 15 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा और इसी दिन माता दुर्गा जी का विसर्जन भी किया जाता है। शास्त्रों में माता दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की महिमा कही गई है, माता के हर रूप की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
माता के नवरात्रि के प्रथम दिवस पर माता की घटस्थापना की जाती है और इसी दिन से माता के पवित्र नवरात्रि का आगाज हो जाता है। माता की घटस्थापना को लेकर कुछ विशेष नियम होते हैं जिनको हम सभी को पालन करना चाहिये, घटस्थापना करते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान दिया जाता है। इस बार माता की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से शुरू होने वाला है और 7 बजकर 7 मिनट तक रहने वाला है, इस दौरान माता की घटस्थापना करने से शुभ फल की प्राप्ति होने वाली है।
कैसे करें घटस्थापना-
माता की घटस्थापना करते समय कुछ नियमों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये, ज्योतिषाचार्य की माने तो माता की चौकी को हमेशा उत्तर पूर्व की दिशा में स्थापित करना चाहिये। माता की चौकी स्थापित करने वाले स्थान पर अच्छे से सफाई कर दें और फिर गंगाजल के माध्यम से उस स्थान को शुद्ध कर देना चाहिये। एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछा देना देना चाहिये और फिर उसी स्थान पर माता की स्थापना करना चाहिये। सर्वप्रथम भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिये और फिर कलश स्थापना करनी चाहिये, कलश स्थापना के लिए नारियल को चुनरी से लपेट देना चाहिये और कलश के मुख को मौली से बांध देना चाहिये। फिर कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें एक लौंग का जोड़ा , सुपारी, हल्दी, दूर्वा और रुपये का सिक्का डाल देना चाहिये, कलश पर आम के पत्ते लगाकर फिर उस पर नारियल रख देना चाहिये और फिर इस कलश को माता दुर्गा की मूर्ति के दाईं ओर स्थापित करना चाहिये।
माता के शारदीय नवरात्रि की तिथियां-
इस बार के शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होने वाले हैं और प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। दूसरे दिन यानि 8 अक्टूबर को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी, फिर 9 अक्टूबर यानि तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। 10 अक्टूबर यानि चौथे दिन माँ स्कंदमाता एयर पाँचवे दिन यानि 11 अक्टूबर को माँ कात्यायनी की पूजा की जाएगी। 12 अक्टूबर यानि छठे दिन माँ कालरात्रि और 13 अक्टूबर यानि सातवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाएगी और 14 अक्टूबर को यानि आठवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार 15 अक्टूबर को दशहरा का पर्व है और इसी दिन माता का विसर्जन किया जायेगा और शाम को रावण वध किया जायेगा।