Masik Shivratri 2022: क्या होती मासिक शिवरात्रि पूजा विधि और क्या है इस मासिक शिवरात्रि की कथा-
दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में कई सारे त्योहार मनाये जाते हैं, हमारा हिन्दू धर्म दुनिया का एक मात्र ऐसा धर्म में जिसमें साल भर कोई न कोई त्योहार होता रहता है। हिन्दू धर्म में कई सारे देवी और देवता मौजूद हैं जिनकी पूजा विधि और उनके त्योहार भी अलग-अलग होते हैं। भगवान भोलेनाथ को सबसे जल्द प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है, ऐसा कहा जाता है भगवान भोलेनाथ अपने भक्त को किसी प्रकार के कष्ट में नहीं देख सकते हैं इसलिए अपने भक्तों के दुखों को जल्द से जल्द दूर कर देते हैं। सावन का महिना भोलेनाथ को समर्पित माना जाता है इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लोग दूर-दूर से भोलेनाथ के मंदिरों में पूजा करने जाते हैं, कोई भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करता है तो जलाभिषेक करता है।
महाशिवरात्रि के दिन भी भोलेनाथ का प्रमुख उत्सव होता है, इस दौरान भी भोलेनाथ के मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं, मासिक शिवरात्रि का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जनवरी 2022 में यह व्रत 30 जनवरी यानि रविवार के दिन होने वाला है। आज हम आपको मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और कथा के बारे में बताने जा रहे हैं तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
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क्या है मासिक शिवरात्रि का महत्व-
भोलेनाथ के भक्त गण महाशिवरात्रि का त्योहार तो बड़ी धूम-धाम के साथ मनाते हैं लेकिन हर महीने पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि को बड़ी भक्ति से साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं, ऐसी मान्यता है मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का व्रत रखने और पूजा करने से सारी मनोकामनायें जल्द ही पूरी हो जाती हैं। जो लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं और चाहते हैं कि उन पर हमेशा भोलेनाथ की कृपा बनी रही उनको मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का व्रत रखना चाहिये और भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिये इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मासिक शिवरात्रि पूजा और व्रत विधि-
यदि आप भी भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप इसकी शुरुआत मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने के साथ कर सकते हैं, मासिक शिवरात्रि के व्रत का आरंभ महाशिवरात्रि के दिन से किया जाता है तो यह अति उत्तम होता है, शिवरात्रि के व्रत में भक्तों को सारी रात जागना पड़ता है और भोलेनाथ की पूजा की जाती है। मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय के पहले उठ जाना चाहिये, फिर मंदिर में जाकर भोलेनाथ और पार्वती जी और गणेश, नंदी, कार्तिक सभी की पूजा करनी चाहिये। भोलेनाथ के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि चढ़ाना चाहिये, शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, और श्री फल को चढ़ाना चाहिये, शिव शंकर जी को धूप, दीप, फल और फूल अर्पित करने चाहिये। भोलेनाथ की पूजा करते समय आपको शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा आदि का पाठ करना चाहिये, शाम के समय आपको फलाहार करना चाहिये फिर अगले दिन भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिये और दान देकर अपने उपवास की समाप्ति करनी चाहिये।
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मासिक शिवरात्रि की पौराणिक कथा-
मासिक शिवरात्रि के पीछे की एक पौराणिक कथा है भगवान शिव महाशिवरात्रि पर मध्य रात्री में शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे जिसके बाद भगवान ब्रम्हा और विष्णु जी ने उनकी पूजा की थी। महाशिवरात्रि के दिन को भोलेनाथ के जन्मदिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है,
इस दिन भोलेनाथ का मन से पूजन करने से आपनों मनवांछित फल की प्राप्ति होती है, शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि के व्रत को किया था, ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से
जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और आप हमेशा भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है।