एक बार की बात है, एक व्यापारी के यहाँ पर चोरी हो गई। बहुत प्रयास और खोजबीन करने के बाद भी उस चोर का पता नहीं चला और न ही कोई सामान मिला। व्यापारी यह तो जानता था की चोरी उसके किस नौकर या मित्र ने ही की थी। परन्तु उसको कैसे पकड़ा जाए इसका कोई उपाय नहीं समझ में आ रहा था। तब वह व्यापारी अपने गुरु के पास गया और उनको सारी कहानी बताई। गुरु ने व्यापारी की सारी बात समझकर व्यापारी से कहा की उसके जितने भी नौकर या मित्र हैं उनको एक साथ एकत्रित करे। जब सभी एक साथ एकत्रित हो गए तो गुरु ने सभी को एक-एक छड़ी दी।
इन छड़ियों की एक खासियत थी की यह सारी दिखने में एक जैसी व लम्बाई में एक सामान थी। गुरु ने व्यापारी के यहाँ चोरी की बात बताते हुए सभी को कहा की आप सभी को यह सारी चढ़िया कल शाम में यहीं पर वापिस करनी है और क्यूंकि, इन सारी छड़ियों की लम्बाई एक सामान है, तो जो भी चोर होगा उसकी छड़ी की लम्बाई कल तक एक ऊँगली जितनी बढ़ जाएगी। और जिसकी छड़ी सबसे लम्बी होगी उसका मतलब वही चोर होगा। इस तरह मैं चोर को पकड़ लूंगा। अब सभी वह छड़ी लेकर अपने घर आ गए। मगर जो चोर था उसके मन में दर हो गया की कल उसकी छड़ी एक उंगली जितनी बढ़ जाएगी और वह पकड़ा जाएगा। यह सोचकर उसे एक तरकीब सूझी, उसने सोचा की क्यों न इसको एक ऊँगली जितना काट दिया जाए तो यह कल तक बढ़कर उतनी ही बड़ी मतलब सबके बराबर हो जाएगी।
फिर क्या था उस चोर ने ऐसा ही किया और चादर ओढ़कर चैन की नींद सो गया। सुबह जब सभी अपनी छड़ी लेकर व्यापारी और गुरु के पास पहुंचे तो गुरु ने देखा की उस चोर की छड़ी सबसे छोटी थी बाकी सबकी छड़ी सामान लम्बाई की थी। कुछ इस तरह गुरु ने पाने ज्ञान भरी अनोखी तरकीब से उस चोर को पकड़ लिया।
गुरु की इस अनोखी तरकीब की प्रशंशा व्यापरी समेत अन्य मौजूद लोग भी करने लगे।