Main Kuchh Lamha Aur Tera Saath Chahta Hu,
Aankho Mein Jo Jam Gayi Woh Barsaat Chahta Hu,
मैं कुछ लम्हा और तेरा साथ चाहता हूँ,
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता हूँ,
Aksar Gumsum Rahne Wala Nagma Hun Main,
Aapki Yaado Me Rehne Wala Lamha Hun Main,
अकसर गुमसुम रहने वाला नग्मा हूँ मैं,
आपकी यादो में रहने वाला लम्हा हूँ मैं,
मूर्ख व्यक्ति भी विद्वानोंके साथ मे रहकर विद्वान बन जाता है और विद्वान व्यक्ति भी मूर्खों के साथ रहता है तो उसमे मूर्खता आ जाती है, इसलिए हमे किसी की भी संगति सोच समझकर करनी चाहिए।