भगवान भोलेनाथ से जुड़े हुए 10 रहस्य और उनके पीछे के अर्थ-
दोस्तों भगवान से भोलेनाथ के बारे में हम सभी लोग जानते हैं, भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से हमें असीम फल की प्राप्ति होती है। सावन का महीना भोलेनाथ के लिए विशेष माना जाता है, इस दौरान भोलेनाथ की पूजा करने से हमारी मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। आज हम आपको भगवान भोलेनाथ से जुड़े हुए 10 रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं तथा यह भी बताएंगे की उनके पीछे का अर्थ क्या होता है, आज हम जानने वाले हैं भगवान शिव श्मशान में निवास क्यों करते हैं, गले में नाग धारण क्यों करते हैं, और धतूरा ग्रहण क्यों करते हैं ऐसे ही 10 रहस्यों के बारे तो बने रहे हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
1.क्यों हैं भोलेनाथ श्मसान के निवासी-
भगवान भोलेनाथ को शमशान का निवासी कहा जाता है, वैसे तो भोलेनाथ परिवार के देवता होते हैं लेकिन उनका निवास श्मशान में होता है। भगवान शिव के सांसारिक होते हुए भी श्मशान में निवास करने के पीछे का कारण यह है कि संसार केवल मोह माया का प्रतीक है, जबकि श्मशान वैराग्य का प्रतीक होता है। भगवान भोलेनाथ यह कहना चाहते हैं कि संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य को पूरा करो लेकिन हमें मोह माया से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह संसार एक दिन नष्ट होने वाला है इसलिए संसार में रहते हुए किसी मोह में मत पढ़ो और अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए बैरागी की तरह आचरण करना चाहिए।
यह भी देखें- सावन विशेष : जानते हैं भगवान भोलनाथ से जुड़े हुए 9 प्रतीकों के रहस्य के बारे में
2.भगवान भोलेनाथ क्यों करते हैं धारण नाग-
सारे देवी देवताओं में भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देवता हैं जो अपने गले में नाग को धारण करते हैं नाग को बेहद खतरनाक प्राणी माना जाता है, लेकिन उसकी एक आदत होती है कि वह बिना किसी कारण के किसी को डसता नहीं है जाने अनजाने में या हमारी मदद भी करता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने निजी स्वार्थ के चलते नाग को मार देते हैं, भोलेनाथ का नाम धारण करने का कारण क्या है जीवन चक्र में हर प्राणी का अपना विशेष योगदान होता है इसलिए हमें कभी भी अपने स्वार्थ के लिए किसी प्राणी की हत्या नहीं करनी चाहिए।
3.भगवान भोलेनाथ की क्यों हैं तीन आंखे-
दोस्तों आपने देखा होगा कि भगवान भोलेनाथ की तीन आंखें होती हैं, जहां सभी देवी देवताओं की दो आंखें होती हैं वही भगवान शंकर की तीन नेत्र हैं। दुनिया में मात्र भोलेनाथ थी एक ऐसे देवता हैं जिनके तीन नेत्र हैं तीन नेत्र होने के कारण भोलेनाथ को हम लोग श्रीनेत्रधारी के नाम से जानते हैं। हमारी आंखों का काम हमें रास्ता दिखाने का होता है, रास्ते में पढ़ने वाली मुसीबतों से हमें सावधान करना होता है, हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती हैं जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं, ऐसी स्थिति में हमारा विवेक और धैर्य हमें रास्ता दिखाने का कार्य करता है और सही गलत के बीच में अंतर बताता है। भगवान भोलेनाथ का तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र का स्थान है या आज्ञा चक्र विवेक बुद्धि का स्रोत माना माना जाता है जो हमें विपरीत स्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
यह भी देखें-सावन के पवित्र महीने में इन कामों को करने से बचें, खुद के खान-पान का रखे विशेष ध्यान
4.बैल क्यों है शंकर जी का वाहन-
भगवान भोलेनाथ का वाहन बैल है जिसको हम लोग नंदी के रूप में जानते हैं, बैल बहुत मेहनत करने वाला पशु होता है, लेकिन मेहनती होने के साथ-साथ उसका स्वभाव एकदम शांत होता है। वैसे ही भोलेनाथ भी परम योगी और शक्तिशाली होते हुए भी शांत रहते हैं, वह इतने शांत हैं जिसके कारण उन्हें भोलेनाथ के रूप में जाना जाता है। नंदी को पुरुषार्थ का प्रतीक माना जाता है कड़ी मेहनत करने के बाद भी बैल थकता नहीं है और वह लगातार अपने कर्म करता रहता है, इसका अर्थ है कि हमें अपने जीवन में लगातार कर्म करते रहना चाहिए ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है।
5.क्यों हैं भोलेनाथ के सिर पर चंद्रमा-
भगवान भोलेनाथ के सिर पर मौजूद चंद्रमा उनकी शोभा को बढ़ाता है, भगवान शिव को भालचंद्र के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है चंद्रमा की किरणों से हमें शीतलता का एहसास होता है, भगवान शंकर यह कहना चाहते हैं कि जीवन में कितनी भी बड़ी समस्या क्यों ना आ जाए हमारा दिमाग हमेशा शांत रहना चाहिए। यदि हम अपना दिमाग शांत रखते हैं तो जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानी को पराजित कर सकते हैं, ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है मन का स्वभाव बहुत चंचल होता है। भगवान शिव का चंद्रमा धारण करने का अर्थ है कि अपने मन को सदैव अपने काबू में रखना चाहिए, जब भी हमारा मन भटकेगा तो हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होगी, जो लोग मन पर नियंत्रण कर लेते हैं वह अपने जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।
6.भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं भांग और धतूरा-
भगवान भोलेनाथ की पूजा करते समय उन्हें मुख्य रूप से भांग और धतूरे चढ़ाया जाता है, लोगों की ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। भांग और धतूरे नशीले पदार्थ होते हैं और लोग इसे नशे के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन भोलेनाथ को भांग धतूरा चढ़ाने का अर्थ यह है कि अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित कर देना चाहिए, यानी यदि आप किसी प्रकार का नशा करते हैं कि भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर देना चाहिए और अपने भविष्य में कभी भी नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ आप पर प्रसन्न रहते हैं और आपके सारे कार्य बनते रहते हैं।
7.कैलाश पर्वत क्यों है भोलेनाथ का स्थान-
भगवान भोले नाथ को कैलाश पर्वत का निवासी कहा जाता है, और वो हमेशा कैलाश पर्वत पर रहते हैं। पर्वत पर हमलोग नहीं जाते जा पते हैं वहाँ पर केवल सिद्ध धारण करने वाले पुरुष ही जा सकते हैं भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर अपने ध्यान पर मग्न रहते हैं, इसके पीछे का कारण यह है कि पर्वत को एकांत और ऊंचाई का प्रतीक माना जाता है यदि आप भी किसी सिद्धि को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको किसी एकांत स्थान पर जाकर साधना करनी होगी इससे आपका मन एक जगह पर स्थिर रहेगा और वो इधर-उधर नहीं भटकेगा।
8.भोलेनाथ क्यों लगाते हैं अपने शरीर पर भस्म-
आपने देखा होगा भगवान भोलेनाथ अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं तो आपको भी इसके पीछे के रहस्य के बारे में जानने की इच्छा जरूर होती होगी। जहां सारे देवी देवता सुंदर वस्त्र धारण करते हैं वह भोलेनाथ एक ऐसे भगवान हैं जो अपने शरीर में भस्म लगाते हैं, भस्म भगवान शिव का प्रमुख वस्त्र होता है और उनका पूरा शरीर भस्म से ढका रहता है। इसके पीछे का कारण कि भस्म मैं एक विशेषता होती है किया शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है, इसके कारण शरीर पर लगने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी का एहसास नहीं होता है। भस्म हमारी त्वचा के लिए दवा का काम करती है, भस्म धारण करने के पीछे भोलेनाथ पूरी दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना मनुष्य का विशेष गुण होता है।
9.क्यों होता है भोलेनाथ के हाथों में त्रिशूल-
आपने भोलेनाथ को त्रिशूल लिए हुए जरूर देखा होगा, त्रिशूल भोलेनाथ का मुख्य अस्त्र होता है, त्रिशूल मुख्य तीन सिरे होते हैं, अस्त्र का इस्तेमाल संहार करने के लिए किया जाता है लेकिन भोलेनाथ का त्रिशूल बहुत गहरी बात को बताता है। संसार में तीन तरह की प्रवृत्ति होती है सत रज और तम यानी सत् से सात्विक रज से सांसारिक और तन से तामसी होता है और मनुष्य में यह तीनों प्रवृत्तियां मौजूद होती हैं, लेकिन इनकी मात्रा में अंतर होता है। त्रिशूल के तीनों नुकीले इन तीनों प्रवृत्तियां के बारे में बताते हैं, त्रिशूल का मध्य भाग यह संदेश देता है कि इन गुणों पर हमारा पूरी तरह से नियंत्रण है, त्रिशूल का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब सामने कोई बड़ी मुश्किल आती है।
10.क्यों पीया था भोलेनाथ ने जहर-
आखिर भोलेनाथ ने जहर क्यों पिया था इसके बारे में जानते हैं, देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से जो विष निकला था उसे भगवान शंकर ने अपने में कंठ में धारण किया था जिसके प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया जिसके कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ गया। समुद्र मंथन का अर्थ होता है कि अपने मन के अपने विचारों पर मंथन करना है। हमारे मन में असंख्य विचार और भावनाएं होती हैं उन्हें मथ कर निकालना फिर उसके बाद अच्छे विचारों को अपनाना ही मंथन कहलाता है, जब हम मन को मथ देंगे तो सबसे पहले बुरे विचार बाहर आएंगे जो विष का प्रतीक है। भोलेनाथ ने अपने कंठ में विष को धारण किया था और उसे अपने ऊपर प्रभावी नहीं होने दिया, भोलेनाथ का विष पीना हमें इस संकेत की और बताता है कि हमें बुराइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए, बुराइयों से हमें हर परिस्थिति में सामना करना चाहिए।