वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। वहीँ अगर हिन्दू धर्म पुराणों की बात करें तो जब राहु चंद्रमा को ग्रसित करते हैं, तब चंद्रग्रहण होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण से पहले सूतक काल माना जाता है और इन सूतक काल में कही तरह के काम को वर्जित माना गया है इस दौरान किसी भी शुभ काम की शुरुआत की भी मनाही है। इन्ही कई कार्यों में से कुछ कार्य गर्भवती महिलाओं के लिए भी हैं जिनको करने से उन्हें बचना चाहिए। तो आइये जानते हैं की कौन से ऐसे कार्य हैं जिन्हे गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय करना या नहीं करना चाहिए।
धारदार चीजों के इस्तेमाल से बचना चाहिए
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का धारदार चीजों का इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता है ऐसा करना माँ और बच्चे दोनों पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए ग्रहण के समय प्रेग्नेंट स्त्रियां सिलाई, कढ़ाई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग न करें।
सोने से परहेज
ऐसा माना जाता है की ग्रहण के दौरान यदि कोई गर्भवती महिला सोती है तो यह बच्चे की बुद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे बच्चा मंद बुद्धि भी होता है। इसलिए ग्रहण के दौरान यदि कोई गर्भवती महिलाओं को सोने से परहेज करना चाहिए।
भगवान का स्मरण
ग्रहण के दौरान अपने मन को बिलकुल शांत रखना चाहिए किसी भी प्रकार के क्रोध, अहंकार, तनाव, विवाद और नकारात्मक विचार से बचकर रहना चाहिए। ऐसे में यह जरूरी है की आप ग्रहण के दौरान भगवान का स्मरण करते रहें।
दुर्गा पाठ या इष्टदेव का स्मरण करें
शास्त्रों की मानें तो चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को तुलसी दल रखकर दुर्गा पाठ या अपने इष्टदेव के मंत्र का स्मरण करना चाहिए। ऐसा करने से माँ और शिशु दोनों पर ही बुरी शक्तियां अपना प्रभाव नहीं डालती हैं।
पवित्र जल से स्नान
ऐसा माना जाता है की चंद्र ग्रहण खत्म होने के पश्चात गर्भवती महिलाओं को पवित्र जल से स्नान करना चाहिए. पवित्र जल से स्नान करने से माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों पर ग्रहण के दोष का खतरा खत्म हो जाता है.