टायर हर गाड़ी का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है चाहे साइकिल हो या मोटरसाइकिल या कार हो आपको हर प्रकार के वाहन में टायर जरूर देखने को मिलेंगे क्योंकि टायर के बिना गाड़ी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है लेकीन आपने गौर किया होगा की वाहनों में टायर का रंग हमेशा काला ही रहता है।
तकनीकी के क्षेत्र में इतना बदलाव आ गया है लेकीन टायर का रंग शुरू से लेकर अभी तक काला ही बना हुआ है आखिर क्या कारण है कि टायर के रंग से आज तक छेड़छाड़ नहीं की गई है।
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मान लिया जाए भारत टेक्नोलॉजी में अभी पीछे हैं लेकिन् जो देश टेक्नोलॉजी में आगे हैं वहाँ पर भी टायर का रंग अभी भी काला ही है। आज हम आपको टायर का रंग काला होने के पीछे की वजह के बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं क्यों टायर का रंग काला होता है ?
टायर का प्रयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है प्राचीन समय में पहियों का आविष्कार हो गया था लेकीन वे लोग केवल लकड़ी के बने हुए पहियों का प्रयोग करते थे क्योंकि उनको रबर के बारे में ज्ञान नहीं था लेकीन रबर की खोज हो जाने के बाद अब रबर के बने हुए टायरों का उपयोग किया जाने लगा है।
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पहले जो रबर की खोज हुई तही उनसे बने हुए टायर कम समय में खराब हो जाते थे क्योंकि वह रबर मुलायम होती थी लेकीन इसमे बदलाव किया गया और रबर में कार्बन और सल्फर को मिला कर इसको और अधिक मजबू बना दिया गया और आज तक इसी कार्बन और सल्फर से बने हुए टायरों का प्रयोग वाहनों में किया जा रहा है जो रबर नैचुरल होती है उसका रंग ग्रे होता है लेकीन इसमे कार्बन और सल्फर मिला देने के बाद इसका रंग काला हो जाता है।
रबर में कार्बन मिलाने का मकसद यह था की कार्बन मिलाने से साधारण रबर की अपेक्षा यह रबर कई गुना और अधिक मजबूत हो जाती है, यदि बात साधारण रबर की करते हैं तो इससे निर्मित टायर केवल 10 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं लेकीन रबर में कार्बन और सल्फर मिला दिया जाता है तो टायर 1 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकते हैं इससे यह मालूम होता है कि रबर मे कार्बन और सल्फर मिलाने से रबर कई गुना मजबूत बनाया जा सकता है। यही कारण है की टायरों का रंग हमेशा काला होता है।
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आपने बच्चों की साइकिल में देखा होगा कि उनके टायर रंगीन होते हैं लेकीन उन टायरों को ठोस बना दिया जाता है और उनमे किसी प्रकार की हवा भी नहीं भरी जाती है जिससे वें कुछ समय तक आसानी से चलते रहते हैं। यदि टायरों का रंग रंगीन कर दिया जाए तो वें ज्यादा समय तक नहीं चल पाएंगे और उनमे जो कार्बन और सल्फर मिलाया जाएगा उस पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। आपने टायरों को जलते हुए देखा होगा तो गौर किया होगा कि टायरों को जलाने से जो धुआँ निकलता है वो काले रंग का होता है और काला धुआँ कार्बन से कारण होता है।