Narco Test क्या होता है और कैसे किया जाता है ?

Narco Test क्या होता है और कैसे किया जाता है ?

Narco Test क्या होता है और कैसे किया जाता है ?-
आज के समय में देश में अपराधियों की संख्या में तेजी  से इजाफा हुआ है, आपको टीवी अखबार या किसी अन्य माध्यम से अपराध से जुड़ी हुई खबरे तो जरूर सुनने को मिलती हैं। सरकार इन अपराध को कम करने के लिए बहुत सारे नियम बनाती हैं लेकीन अपराधी इतने शातिर होने हैं वो अपराध को आसानी से अंजाम दे देते हैं। अपराधियों से अपराध को कबूल करवाने के लिए एक टेस्ट किया जाता है जिसका नाम नार्को टेस्ट होता है। आज हम लोग नार्को टेस्ट के बारे में जानने जा रहे हैं, यह टेस्ट क्या होता है और किस प्रकार इस टेस्ट को किया जाता है तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 

 

कुछ अपराधी ऐसे होते हैं जिनपर पुलिस दबाव बनाकर अपराध कबूल करवा लेती हैं लेकीन कुछ अपराधी ऐसे होते हैं जो अपराध को आसानी से कबूल नहीं करते हैं चाहे पुलिस उनको कितना भी प्रताड़ित कर देती हैं। ऐसे ही खतरनाक अपराधियों से सच कबूल करवाने के लिए नार्को टेस्ट का सहारा लिया जाता है। देश की बड़ी क्राइम एजेंसियां जैसे सीबीआई अपराधियों से सच कबूलवाने के लिए narco test का इस्तेमाल करती हैं। 

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किसी का नार्को टेस्ट करने से पहले उसका शारीरिक परीक्षण किया जाता है उस व्यक्ति की उम्र और लिंग के अनुसार उसे नार्को टेस्ट की दवाई दी जाती हैं कई बार गलत दवाईं या अधिक मात्रा में दवाईं दे देने से वह व्यक्ति बेहोशी की हालत में चला जाता है जिससे नार्को टेस्ट की प्रक्रिया सही ढंग से नहीं पाती है,

narco test को इन्वेस्टीगेशन अधिकारी, डॉक्टर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट, साइकोलॉजिस्ट आदि की मौजूदगी में किया जाता है। इस टेस्ट में अपराधी को कुछ दवाइयाँ दी जाती है जिससे वह अपराधी सारी बातें सच सच बता देता है लेकीन कई बार यह देखने को मिलता है अपराधी दवाइयों से बेहोश जाता है जिससे जुर्म के पीछे की सच्चाई का पता नहीं चल पाता है। 


जिस किसी का नार्को टेस्ट करना होता है उसे ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर इसके अलावा सोडियम पेंटोंथोल नामक इजेक्शन दिया जाता है इन दवाओं को देने से वह व्यक्ति इस अवस्था में पहुँच जाता है जहां पर वो ना तो पूरी तरह से बेहोशी की अवस्था में होता है और ना ही उसे पूरी तरह होश होता है। यानि वह व्यक्ति इस दोनों अवस्थाओं के बीच में रहता है जिसके प्रभाव से वह व्यक्ति अधिक बोल नहीं पता है और उस व्यक्ति की सोचने की क्षमता भी बंद हो जाती है। 

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ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति से सवाल किये जाते हैं और उनके जवाब पूछे जाते हैं क्योंकि आधी बेहोशी की स्थिति में वह व्यक्ति सवालों के जवाब सही सही देता है और जवाब को घूमा फिरा नहीं पता है और सारी बातें सच बता देते हैं। किसी को झूठ बोलने की लिए दिमाग का प्रयोग करने की जरूरत पड़ती है 
बल्कि सच बोलने में ज्यादा दिमाग का प्रयोग नहीं करना पड़ता है।  झूठ बोलने के लिए दिमाग में एक कहानी बनानी पड़ती है और इस स्थिति में व्यक्ति का दिमाग नहीं चलता है इसलिए ज्यादा चांस होते हैं वो सारी बातें सच बता देता है। 

 

व्यक्ति आधा बेहोश होने के कारण सारी बातों को सही-सही बता देता हैं जिसके लिए नार्को टेस्ट किया जाता है। नार्को टेस्ट के माध्यम से व्यक्ति से सच का पता लगाने के साथ उसके शरीर की प्रतिक्रिया को भी देखा जाता है। बहुत सारे ऐसे केस  होते है जिनमे वह व्यक्ति शामिल होता है इसलिए इसका पता करने के लिए उस व्यक्ति को कंप्युटर के समाने बिठाया जाता है और उसे कंप्यूटर पर विजुअल्स दिखाए जाते हैं। 

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नार्को टेस्ट होने वाले व्यक्ति को पहले तो साधरण से विजुअल्स दिखाये जाते हैं लेकीन कुछ समय बाद उसे उस केस से जुड़े हुए विजुअल्स या तस्वीरें दिखाई जाती हैं और फिर उसके शरीर के रिएक्शन को देखा जाता है। इस स्थिति में दिमाग के साथ शरीर कुछ अलग प्रकार की प्रतिक्रिया देता है तो इससे यह मालूम पड़ जाता है वो व्यक्ति उस केस से हुआ है।