Chaitra Navratri 2022: कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि और क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री-
दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है वैसे साल भर में चार बार नवरात्रि होते हैं जिनमे से माघ और आषाढ़ के महीने में गुप्त नवरात्रि मनाए जाते हैं और चैत्र के महीने में चैत्र नवरात्रि और आश्विन के महीने में शारदीय नवरात्रि मनाये जाते हैं। नवरात्रि हिन्दू धर्म का पवित्र त्योहार होता है यह त्योहार माता दुर्गा जी को समर्पित होता है जो नौ दिनों तक चलता है, इस दौरान माता के अलग-अलग रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है। बहुत सारे लोग माता को प्रसन्न करने के व्रत रखते हैं और अपने घर में माता की चौकी की स्थापना करते हैं और नियमित रूप से सुबह और शाम माता की पूजा करते हैं।
आज हम आपको चैत्र नवरात्रि 2022 के बारे में बताने जा रहे हैं, इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को शुरू हो रहे हैं और 10 अप्रैल 2022 रविवार के दिन राम नवमी के साथ समाप्त होने होते हैं, इस दौरान माता के नौ रूपों शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत : 01 अप्रैल,2022 सुबह 11 बजकर 54 से आरंभ
प्रतिपदा तिथि की समाप्ति : 02 अप्रैल,2022 सुबह 11 बजकर 57 पर समाप्त
घटस्थापना शुभ मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि 2022 तीथियां-
नवरात्रि दिवस 1: माँ शैलपुत्री पूजा 2 अप्रैल शनिवार 2022
नवरात्रि दिवस 2: माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 3 अप्रैल रविवार 2022
नवरात्रि दिवस 3: माँ चंद्रघंटा पूजा 4 अप्रैल सोमवार 2022
नवरात्रि दिवस 4: माँ कुष्मांडा पूजा 5 अप्रैल मंगलवार 2022
नवरात्रि दिवस 5: माँ स्कंदमाता पूजा 6 अप्रैल बुधवार 2022
नवरात्रि दिवस 6: माँ कात्यायनी पूजा 7 अप्रैल गुरुवार 2022
नवरात्रि दिवस 7: माँ कालरात्रि पूजा 8 अप्रैल शुक्रवार 2022
नवरात्रि दिवस 8: माँ महागौरी पूजा 9 अप्रैल शनिवार 2022
नवरात्रि दिवस 9: माँ सिद्धिदात्री पूजा 10 अप्रैल रविवार 2022
नवरात्रि दिवस 10: नवरात्रि पारण 11 अप्रैल सोमवार 2022
चैत्र नवरात्रि 2022 पूजन सामग्री:
मां दुर्गा की नई मूर्ति, चौकी ,वस्त्र और एक आसन, एक नई लाल रंग की चुनरी, मिट्टी का एक कलश, आम या अशोक की हरी पत्तियां, लाल सिंदूर, गुलाब व गुड़हल का फूल और फूलों की माला, शृंगार की सामग्री, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती और मां दुर्गा आरती की किताबें, अक्षत, गंगाजल, शहद, कलावा, चंदन, रोली, जटा नारियल, गाय का घी, धूप, अगरबत्ती, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, अगरबत्ती, दीपक, बत्ती के लिए रुई, केसर, नैवेद्य, पंचमेवा, गुग्गल, लोबान, जौ, फल, मिठाई, उप्पलें, एक हवन कुंड, हवन की सामग्री और आम की सूखी लकड़ियां आदि।