Guru Purnima 2022: कब है गुरु पूर्णिमा का पवित्र त्योहार और क्या है इसका महत्व-
दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में गुरु यानि शिक्षक का पद भगवान से भी ऊंचा माना जाता है, क्योंकि गुरु के ज्ञान से ही हम इस संसार के मोह जाल से मुक्ति पा सकते है, गुरु के दिखाए हुए रास्ते पर चलकर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। शस्त्रों के अनुसार यदि हमें ईश्वर के द्वारा श्राप मिल जाता है तो गुरु हमें इससे बचा सकते हैं लेकिन यदि गुरु ने हमें श्राप दे दिया तो स्वयं भगवान भी हमारी मदद नहीं कर सकते हैं। गुरु की श्रेष्ठता के बारे में स्वयं कबीर जी ने भी कहा है-
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥
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गुरु पूर्णिमा का पवित्र त्योहार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जिसको हमलोग गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं, अपने देश में गुरु पूर्णिमा को बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। पहले के समय में जहां गुरु के आश्रम होते हैं जिनमें शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्र जाया करते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन आश्रमों को छात्रों द्वारा सजाया जाता है गुरु की पूजा की जाती है और सभी छात्र अपने गुरु से आशीर्वाद लेते, इस दिन गुरु के साथ-साथ अपने घर के बड़े बुजुर्ग लोगों का सम्मान किया जाता था क्योंकि घर के बड़े सदस्य भी गुरु के समान होते हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजा 2022 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम दिन त्यौहार के तारीख
गुरु पूर्णिमा बुधवार 13 जुलाई 2022
गुरु पूर्णिमा पूजा समय :
पूर्णिमा तिथि शुरू : 04:00 - 13 जुलाई 2022
पूर्णिमा तिथि ख़त्म : 00:05 - 14 जुलाई 2022
क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व-
हिन्दू धर्म के अनुसार इसी दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था, वेद व्यास जी संस्कृत के महान ज्ञाता थे जिन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी। महाभारत के अठारहवें अध्याय में में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का अनमोल उपदेश दिया था, जिसको आज भी लोग अपने जीवन में पालन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यासजी हैं, वेदों को अलग करने का श्रेय भी इनको दिया जाता है जिसके कारण ही इनको हमलोग वेद व्यास के नाम से जानते हैं, गुरु पूर्णिमा को हमलोग व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।
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वर्षा ऋतु में क्यों होती है गुरु पूर्णिमा-
हमारे देश में साल भर त्योहार होते रहते हैं, हर ऋतुओ में अलग-अलग त्योहारों का प्रचलन हैं, गुरु पूर्णिमा को विशेष रूप से वर्षा ऋतु में मनाया जाता है क्योंकि वर्षा ऋतु का मौसम सुहावना होता है, औय यह मौसम अध्ययन और अध्यापन के लिए सर्वोत्तम होता है। गुरुचरण
में उपस्थित शिष्य ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति को प्राप्त करने हेतु वर्षा ऋतु को सर्वोत्तम मानते हैं।