Chanakya Niti: विद्यार्थियों को सफलता हासिल करने के लिए अपनाने चाहिये ये सात मूलमंत्र-
दोस्तों आचार्य चाणक्य को हम सभी लोग जानते हैं,चाणक्य को हमलोग विष्णु गुप्त कौटिल्य आदि नामों से जानते हैं। चाणक्य बहुत ही कुशाग्र बुद्धि होने के साथ अलग-अलग विषयों पर गहन जानकारी रखते थे, उन्हे अर्थशास्त्र का बड़ा ही विद्वान कहा जाता है, आचार्य चाणक्य के जीवन में कई सारी मुसीबतें आई लेकिन इन्होंने उनका डटकर सामना किया है और मुसीबतों को परास्त करके जीवन के रास्ते पर हमेशा आगे बढ़े रहें। आचार्य चाणक्य ने अपनी बुद्धिमानी से नन्द वंश के राजा घनानन्द को चन्द्रगुप्त के हाथों परास्त किया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवालिया, चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को राजा बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
दोस्तों आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों का जीवन एक तपस्या की तरह होता है, क्योंकि विद्यार्थियों के जीवन पर परिवार के साथ-साथ आसपास के माहौल का प्रभाव उनकी शिक्षा पर भी पड़ता है। आज हम आपको आचार्य चाणक्य के अनुसार सात ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको हर विद्यार्थी को अपने जीवन में जरूर अपनाना चाहिये तभी उन्हे सफलता का स्वाद मिलेगा, तो बने रहिए हमारे साथ बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
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1.हास-परिहास से रखे दूरी-
आचार्य चाणक्य कहते हैं जो विद्यार्थी सफल होने के कठिन परिश्रम कर रहे हैं, तो हास-परिहास से से दूरी बनाकर रखना चाहिये क्योंकि कभी-कभी ज्यादा हसीं-मजाक करने से व्यर्थ मे विवाद पैदा हो सकता है जिससे उनके परिश्रम में रुकावट उत्पन्न हो सकती है जो उनको सफलता से दूर ले जाती है।
2.नींद पर रहे काबू-
आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को जरूरत से अधिक नींद नहीं लेना चाहिये, छात्रों को अपने जीवन में सही दिन चर्या को अपनाना चाहिये और समय से उठना चाहिये और समय से सो जाना चाहिये, क्योंकि ऐसा करने से हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और पढ़ाई मे हमारा मन भी लगता है।
3.काम-वासना से दूरी-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्यार्थियों को अपने जीवन में काम-वासना से दूरी बनाकर रखना चाहिये, क्योंकि जो छात्र काम-वासना में लिप्त रहते हैं उन्हे कभी भी सफलता प्राप्त नहीं होती है और पूरे जीवन परेशान रहते हैं इसलिए आपको काम-वासना पर नियंत्रण रखना चाहिये और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिये।
4.क्रोध पर नियंत्रण-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्यार्थी को अपने जीवन में क्रोध को काबू करने की कला जरूर होनी चाहिये, क्योंकि क्रोध पर जो व्यक्ति नियंत्रण नहीं कर पाता है वो अज्ञानी होता है। चाणक्य के अनुसार क्रोध करने से हमारी याददाश्त शक्ति कमजोर हो जाती है जिसके कारण सफलता मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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5.लोभ से रहे दूर-
आचार्य चाणक्य कहते हैं, विद्यार्थी को अपने जीवन में लोभ से बचना चाहिये क्योंकि लालच इंसान को गलत काम की ओर ले जाता है और जिस व्यक्ति के अंदर लालच आ जाता है वो धीरे-धीरे बर्बादी की ओर चला जाता है। विद्यार्थियों के मन में लोभ की भावना बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिये, बल्कि छात्र के मन में ज्ञान को लेकर लालच होना चाहिये तभी उसे सफलता प्राप्त होती है।
6.स्वाद पर नियंत्रण-
आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को अपने जीवन में स्वाद पर नियंत्रण रखना चाहिये, बल्कि छात्रों को इस प्रकार का भोजन करना चाहिये जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो और सेहत से भरपूर होना चाहिये, क्योंकि पौष्टिक भोजन करने से हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क का विकास होता है।
7.शृंगार से रखे दूरी-
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो विद्यार्थी सफल होने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं उनको शृंगार आदि से दूरी बनाकर रखनी चाहिये। जो छात्र अपने जीवन को सजने और सवरने में बर्बाद करते हैं उनको सफलता का स्वाद नहीं मिल पाता है और उन्हे हमेशा निराशा हाथ लगती है।