कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना,
कभी तपती धूप में चल के देख लेना,
कैसे होती है हिफाज़त मुल्क की,
कभी सरहद पर चल के देख लेना..
कश्मीर में सर्दी नहीं होती,
मुंबई में गर्मी में नहीं होती,
हम भी घर जाके हर त्यौहार मनाते,
अगर हमारे जिस्म में यह वर्दी नहीं होती
चीर के बहा दूं लहू दुश्मन के सीने का , यही तो मजा है #फौजी होकर जीने का ।।
वतन की मोहब्बत में, खुद को तपाये बैठे हैं, मरेंगे वतन के लिए, शर्त मौत से लगाये बैठे हैं
जिनमे अकेले चलने के हौसले होते हैं । एक दिन उन्ही के पीछे काफिले होते हैं ।।
अगर अधर्मी सिर्फ़ समझाने से समझ जाते, तो बाँसुरी बजाने वाला कभी महाभारत नहीं होने देता !!
कोई छूटा हुआ, भारत का टुकड़ा, कश्मीर पाने की कोशिश कर रहा है.! जैसे कोई टूटा हुआ नाखून, फिर हाथ पाने की कोशिश कर रहा है…!!
दुशमनो को पहुँचाऊँगा कब्र के देश... तेरे वास्ते कफन पहनूंगा मै तिरंगे सा खेश….
जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में मर रहे हैं,
कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मरे रहे हैं…
नींद उड़ गयी यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए,
आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए…
हमारा जीना हमारा संयोग है, हमारा प्यार हमारी पसंद है, हमारा मारना हमारा व्यवसाय है।”
मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन मैं वापस अवश्य आऊंगा।”
यह भी देखें- असफल लोगों की निशानियाँ
जो आपके लिए जीवनभर का असाधारण रोमांच है, वो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है।”
“यदि अपना शौर्य सिद्ध करने से पूर्व मेरी मृत्यु आ जाए तो ये मेरी कसम है कि मैं मृत्यु को ही मार डालूँगा।”
मेरे जज्बातों से मेरा कलम इस कदर वाकिफ हो जाता हैं, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो इन्कलाब लिखा जाता हैं
चीर के बहा दूं लहू दुश्मन के सीने का , यही तो मजा है #फौजी होकर जीने का ।।
ईश्वर हमारे दुश्मनों पर दया करे, क्योंकि हम तो करेंगे नहीं।” – भारतीय सेना
अगर अधर्मी सिर्फ़ समझाने से समझ जाते, तो बाँसुरी बजाने वाला कभी महाभारत नहीं होने देता !!
जो पूरी रात जागते हैं जरूरी नहीं वो सिर्फ आशिक ही हो,
वो देश पर मर मिटने वाला जवान भी हो सकता है…
दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान है,
सिर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक दिल में जान है…
ऊन दो आँखों के आगे समंदर भी हारा होगा।। जब मेंहदी वाली हाथो ने मंगलसूत्र उतारा होगा
आर्मी तो है देश की शान,.. जिन्दादिली है जिसकी पहचान.
जब भर्ती हुआ फौज मे उसी दिन दो कफ़न खरीद लिये थे…. एक खुशियों को ओढ़कर दूसरा घरवालो को दे आये थे… झुकने दिया #तिरंगे