एक रोचक और प्रेरणादायक कहानी 'बुरे का अंत बुरा'-
एक समय की बात है एक जगह चार चोर रहते थे वे लोगों को लूटते थे और जो धन लूटने के बाद मिलता था वो आपस में बराबर-बराबर हिस्से में बाँट लेते थे। चारों चोर एक साथ रहते थे लेकिन सभी एक से बढ़कर स्वार्थी थे, सभी चोर सोचते थे कि किसी दिन ज्यादा धन मिलेगा तो बाकी तीनों को नहीं बताऊँगा और सभी की हत्या करके सारा धन अपने पास रख लूँगा।
एक दिन वो नगर के एक सेठ के घर में चोरी करने के सेंध लगा दी जिसके बाद उनको बहुत सारा धन प्राप्त हुआ और फिर सारा धन लेकर जंगल की ओर भागकर चले गए।
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तीन दिनों तक वो जंगल में छिपे रहें, क्योंकि उनको पता था कि नगर के बड़े सेठ के घर में चोरी की है जिसके कारण सारे नगर की पुलिस उनको जरूर खोज रही होगी इसलिए उन्होंने सोचा क्यों ना कुछ दिन और इसी जंगल में छिपकर रहते हैं।
कई दिनों तक जंगल में रहने कारण उनके पास खाने पीने का कोई समान नहीं था और जंगल में खाने के लिए कुछ भी मौजूद नहीं था लेकिन जब उनकी भूख बर्दास्त के बाहर हो गई तो उन्होंने निर्णय किया कि उनको दो साथी नगर में जायेंगे और वहाँ से खाने के कुछ लेकर जरूर आएंगे। फिर दो चोर नगर की ओर चले गए, नगर में पहुँच कर उन दोनों ने बहुत खाना खाया और सोचा क्यों ना बाकी दूसरे लोगो को मौत के घाट उतार दिया जाए और लूट का सारा धन अपने नाम कर लिया जाये। इसलिए उन दोनों ने नगर से वापस आते समय भोजन में जहर मिला दिया और सारे रास्ते में यही सोचते रहें कि अब सारा धन उनका होने वाला है।
जब दो चोर जंगल की ओर गए थे तो बाकी दो चोरों ने योजना बनाई कि उनको मौत के घाट उतार देते हैं और उस धन पर अपना कब्जा कर लेते हैं, चारों चोरों ने अपनी योजनाक के अनुसार काम किया, पहले के दो चोर जब नगर से वापस आये तो बाकी दोनों चोरों ने उनपर हमला कर दिया और उनको मौत के घाट उतार दिया और फिर इसके बाद दोनों के सोचा अपना काम खत्म हो गया क्यों ना अब भोजन करते हैं, लेकिन जैसे ही दोनों ने भोजन को खाया तो भोजन में जहर होने के कारण बाकी दोनों चोर भी तड़प तड़प कर मर गए इस प्रकार चारों चोरों की मौत हो गई और लूट का धन किसी के हाथ नहीं आया।
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