तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम.. भजन-
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम॥
घर बार छोड़ा सब तेरी लगन में,
बाँवरी भई डोलूं ब्रिज की गलिन में।
मेरे स्वांसो की माला तेरे नाम, मेरे अलबेले श्याम॥
सांवरे सलोने यही विनती हमारी,
करदो कृपा मैं हूँ दासी तुम्हारी।
तेरी सेवा करूँ आठों याम, मेरे अलबेले श्याम॥
जब से लड़ी निगोड़ी तेरे संग अखियाँ,
चैन नहीं, दिन मैं काटूं रो रो के रतियाँ।
तूने कैसा दिया यह इनाम, मेरे अलबेले श्याम॥
आऊँगी मिलन को तुमसे कर के बहाने,
सांस रूठे, जेठानी मारे सो सो ताने।
हूँ घर घर में मैं तो बदनाम, मेरे अलबेले श्याम॥
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम॥