आखिर क्यों फटते हैं बादल, क्या है इसके पीछे का मुख्य कारण-
दोस्तों हमारा देश विविधिताओं वाला देश है, यहाँ पर हर धर्म के लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं। भारत में कई सारी भाषाएं बोली जाती हैं और हर राज्य का अपनी एक अलग संस्कृति है, लोगों का पहनावा भी अलग है और तो और अलग-अलग जगह का मौसम भी अलग है। भारत के उत्तरी भाग में ठंडी होती है तो दक्षिण भाग में भीषण गर्मी होती है, कहीं पर मूसलाधार बारिश होती है तो कहीं पर सूखा बना रहता है।
आज हम बात करने जा रहे हैं बारिश के मौसम में अक्सर बादल फट जाने वाली घटना के बारे में, अक्सर देश के पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की खबरे आती रहती हैं, उत्तराखंड में अक्सर बादल फटने की खबरे आती रहती हैं। बादल फल जाने के कारण जान माल का बहुत नुकसान होता है, बादल फटने का मतलब बहुत अधिक एक जगह पर बारिश का होना होता है जिसके कारण उस स्थान पर बाढ़ जैसे हालत बन जाते हैं।
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आपको मालूम हो साल 2005 में देश में बादलों को गरम हवा के साथ टकराने से भीषण बारिश हुई थी, इसके बाद साल 2010 में लेह में बादल फट जाने के कारण बहुत बड़ी तबाही का सामना करना पड़ा था जिसके कारण बड़े स्तर पर जान-माल का नुकसान हुआ है। साल 2013 में हुई केदारनाथ की घटना को कौन भूल सकता है जिसके चलते देश ने बहुत बड़ी तबाही देखी थी और बड़ी मात्रा में देश को जान-माल की हानि हुई थी।
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अधिकतर बादल फटने की घटनाओं पर तेज बारिश होने लगती है और उस स्थान पर बाढ़ आ जाती है जिससे बहुत नुकसान होता है। ज्यादातर बादल की फटने की घटना धरती से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है जिसके कारण 100 मिली मीटर प्रति घंटे के हिसाब से बारिश होती रहती है
जिसके कारण उस स्थान पर बाढ़ जैसे हालत बन जाते हैं और बहुत अधिक जान-माल का नुकसान होता है।
क्या आपको मालूम है जहां पर तेज बारिश होती है हमलोग उसको बादल फटने के नाम से जानते हैं लेकिन वैज्ञानिक तौर पर ऐसा नहीं होता है, बादल फटने का मतलब किसी गुब्बारे के फटने से नहीं होता है। विज्ञान की बात माने तो जब बादलों में आर्द्रता बहुत अधिक हो जाती है जो उसको चलने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसी स्थिति में बादल का बहुत तेजी के साथ संघनन होने लगता है और किसी विशेष स्थान पर बहुत अधिक मात्रा में पानी एक साथ धरती पर नीचे गिरने लगता है।
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हमारे देश में उत्तर की ओर विशाल हिमालय मौजूद है जो उत्तरी सीमा की भांति खड़ा है, भारत में मानसून के दौरान जब बादल नमी से भरे होते हैं और उत्तर की तरफ जाते हैं जो उनके रास्ते में हिमालय पर्वत रुकावट का कारण बन जाता है और जब नमी से भरे हुए बादल जब गरम हवाओं से टकरा जाते हैं तब बादल फटने की स्थिति पैदा हो जाती है और वहाँ पर बादल फट जाते हैं।