महात्मा गांधी जी के अनमोल विचार
1. प्रसन्नता ही एक मात्र ऐसा इत्र है जिसको दूसरों पर छिड़कने से कुछ बूंदे अपने भी ऊपर पड़ती है।
2. जो लोग समय बचाते हैं वे धन को बचाते हैं बचाया गया धन कमाए गए धन के बराबर होता है।
3. पृथ्वी सभी लोगों को अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी संसाधन प्रदान करती है लेकिन लालच के लिए प्रदान नहीं करती है।
4. प्रेम दुनिया सबसे बड़ी शक्ति है फिर भी हम लोग जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।
5. जो आप कहते हैं, जो आप सोचते है और जो आप करते हैं अगर इन तीनों के बीच सामंजस्य ठीक होता है तो हमें खुशी मिलती है।
6. शांति का कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है केवल शांति होता है।
7. अपने प्रयोजन में पूरा विश्वास रखने वाला एक छोटा सा शरीर पूरे इतिहास को बदल सकता है।
8. विश्वास करना एक गुण होता है और अविश्वास दुबर्लता की निशानी होती है।
9. मैं किसी को भी अपने गंदे पांव के साथ अपने मन के अंदर से नहीं जाने दूंगा।
10. भगवान का कोई धर्म नहीं होता है।
11. एक कार्य को करके किसी को दिल की खुशी प्रदान करना प्रार्थना में झुके हुए हजारों सिरों के बराबर होता है।
12. मौन सबसे मजबूत भाषण होता है धीरे-धीरे दुनिया आपको जरूर सुनेगी।
13. पहले वे आप पर ध्यान नहीं देंगे फिर वें आप पर हसेंगे और फिर आप से लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे।
14. विश्वास को हमेशा तर्क के साथ तौलना चाहिए क्योंकि जब विश्वास अंधा हो जाता है तब वह मर जाता है।
15. सत्य एक विशाल पेड़ की तरह होता है जैसे-जैसे उसकी सेवा होती जाती है वैसे-वैसे उसमें अनेकों फल आते रहते हैं और उसका अंत नहीं होता है।
16. पाप से नफरत करो और पापी से प्रेम करो।
17. पूंजी अपने आप में बुरी नहीं होती है बल्कि उसका गलत प्रयोग उसे बुरा बनाता है हर किसी को किसी ना किसी रूप में पूंजी की जरूरत जरूर होती है।
18. प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है।
19. मेरी आज्ञा के बिना कोई भी हमें ठेस नहीं पहुँचा सकता है।
20. किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं होती है बल्कि व्यक्ति की पहचान उसे चरित्र के द्वारा होती है।
21. गर्व लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास में निहित होता है ना कि लक्ष्य को पाने में निहित होता है।
22. कोई भी अपने अंदर अंतरात्मा की आवाज को सुन सकता है।
23. विश्व के सारे धर्म भले जी और चीजों में अलग हो लेकिन इस बात पर एक साथ हैं कि दुनिया में सत्य जरूर जीवित रहता है।
24. सत्य जनसमर्थन के बिना भी खड़ा रहता है क्योंकि वो आत्मनिर्भर होता है।
25.अपनी गलती को मान लेना झाड़ू लगाने के समान होता है जो धरती की सतह को और भी चमकदार बना देता है।