गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय भजन
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय । राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥ ॥ गोविन्द जय-जय... ॥
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय । राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥ ॥ गोविन्द जय-जय... ॥
राधिके ले चल परली* पार, राधिके ले चल परली पार जहाँ विराजे नटवर नागर, जहाँ विराजे नटवर नागर नटखट नन्द कुमार...
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं, स्वीकार करो माँ, मझधार में, मैं अटकी, बेडा पार करो माँ, बेडा पार करो माँ, हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
सीता राम सीता राम, सीताराम कहिये, जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये।
श्री राम, श्री राम, श्री राम जय जय राम जय श्री राम दो अक्षर का प्यारा नाम जय जय राम जय श्री राम दो अक्षर का प्यारा नाम
राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा, झुक आये बदरा झुकी आये बदरा, राधे झूलन पधारो झुकी आये बदरा, झुक आये बदरा झुकी आये बदरा, साजो सकल श्रृंगार नैना सारो कजरा ॥
आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी । झूले राधा प्यारी, हाँ झूले राधा प्यारी ॥
हे भोले शंकर पधारो हे भोले शम्भू पधारो बैठे छिप के कहाँ जटा धारी पधारो बैठे छिप के कहाँ, गंगा जटा में तुम्हारी गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ॥
प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला, तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला । अब तो मनोकामना है यह मेरी, जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥ ॥ प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला...॥
जय हो, जय हो शंकरा भोलेनाथ, शंकरा आदिदेव, शंकरा हे शिवाय, शंकरा तेरे जाप के बिना भोलेनाथ, शंकरा चले ये साँस किस तरह हे शिवाय, शंकरा ।
पार ना लगोगे श्री राम के बिना, राम ना मिलेगे हनुमान के बिना। राम ना मिलेगे हनुमान के बिना, श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।
लाल लंगोटे वाले वीर हनुमान है, हनुमान गढ़ी में बैठे, अयोध्या की शान है, लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है ॥
वीरो के भी शिरोमणि बलवान जब चले श्री राम जी का करते हुए ध्यान जब चले और रावण का तोड़ने वो अभिमान जब चले
बजरंगबली मेरी नाव चली, करुना कर पार लगा देना । हे महावीरा हर लो पीरा, सत्माराग मोहे दिखा देना ॥
शंकर जी का डमरू बाजे पार्वती का नंदन नाचे ॥ बर्फीले कैलाशिखर पर, जय गणेश की धूम ओ जय हो...
भज गोविन्दम् भज गोविन्दम्, गोविन्दं भज मूढ़मते। संप्राप्ते सन्निहिते काले, न हि न हि रक्षति डुकृञ् करणे॥१॥
गजानन करदो बेड़ा पार, आज हम तुम्हे मनाते हैं, तुम्हे मनाते हैं, गजानन तुम्हे मनाते हैं ॥
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी
मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान् तुम्हारे चरणों में । यह विनती है पल पल छिन की, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ॥ चाहे बैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर भार बने । चाहे मौत गले का हार बने, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ॥ ॥ मिलता है सच्चा सुख केवल...॥
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद । कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद । हर ख़ुशी मिल जायेगी तुझे, चरणों में झुक जाने के बाद । कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद । कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद ।