धर्म और भाग्य न्यूज़

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे
धर्म और भाग्य

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

हमारे लिए क्यों देर किए हो, हमारे लिए क्यों देर किए हो, गणिका अजामिल को पल में उबारे, गणिका अजामिल को पल में उबारे, अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे, तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु
धर्म और भाग्य

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु, करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु । सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु, करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।

कोई लाख करे चतुरायी
धर्म और भाग्य

कोई लाख करे चतुरायी

कोई लाख करे चतुरायी, करम का लेख मिटे ना रे भाई, करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥ जरा समझो इसकी सच्चाई रे, करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान
धर्म और भाग्य

कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान

मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी, ढूंढ रहा भगवान, कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान, कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान ॥

सजधज कर जिस दिन, मौत की शहजादी आएगी
धर्म और भाग्य

सजधज कर जिस दिन, मौत की शहजादी आएगी

सजधज कर जिस दिन, मौत की शहजादी आएगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी ॥

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की
धर्म और भाग्य

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की

माँमैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की । मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की । जय जय संतोषी माता जय जय ॥ जय जय संतोषी माता जय जय माँ

वर दे, वीणा वादिनि वर दे
धर्म और भाग्य

वर दे, वीणा वादिनि वर दे

वर दे, वीणावादिनि वर दे । प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव भारत में भर दे । वीणावादिनि वर दे ॥

मै हूँ बेटी तू है माता
धर्म और भाग्य

मै हूँ बेटी तू है माता

मै हूँ बेटी तू है माता, ये है जनम-जनम का नाता । मै हूँ बेटी तू है माता, ये है जनम-जनम का नाता । माता रानियें तुझे मैं बुलाने आई हूँ, मैं बातें कुछ सुनने सुनाने आई हूँ ।

दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ
धर्म और भाग्य

दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ

दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ, मैया जब तक जियु मैं सुहागन जियु, मुझसे हो न जुदा मेरा भगवान माँ, मैया जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए
धर्म और भाग्य

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए

भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए ओ मैया तेरे दरबार, में हाँ तेरे दीदार, कि मैं आऊंगा कभी न फिर जाऊँगा भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए ओ मैया तेरे दरबार,

चौसठ जोगणी रे भवानी
धर्म और भाग्य

चौसठ जोगणी रे भवानी

चौसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रमजाय, घूमर घालणि रे भवानी, देवलिये रमजाय ॥ देवलिये रमजाय म्हारे, आंगणिये रमजाय,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए
धर्म और भाग्य

मैं बालक तू माता शेरां वालिए

मैं बालक तू माता शेरां वालिए, है अटूट यह नाता शेरां वालिए । शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ, मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ ॥ ॥ मैं बालक तू माता शेरां वालिए...॥

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे
धर्म और भाग्य

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे, इतना दिया मेरी माता। मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं, सोयी तकदीर जगायी । ये बात ना सुनी सुनाई, मैं खुद बीती बतलाता रे । इतना दिया मेरी माता, ॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥

मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
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मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ

ये है दर्शनी डयोढ़ी, दर्शन पहला है ये करो यात्रा शुरू तो, जय माता दी कह यहाँ तलक तो लायी बेटी, आगे भी ले जाओ ना ॥ मैं परदेशी हूँ...॥

सावन की बरसे बदरिया
धर्म और भाग्य

सावन की बरसे बदरिया

लाल चुनड माँ की चम चम चमकै, माथे कि बिंदिया भी दम दम दमकै, हाथो मे झलके कंगणिया, माँ की भिगी चुनरिया ॥ ॥ सावन की बरसे बदरिया...॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है
धर्म और भाग्य

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है

सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का, रास्ता देख रही है माता, अपने आंख के तारों का । मस्त हवाओं का एक झोखा, यह संदेशा लाया है ।

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे
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भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे, हो रही जय जय कार मंदिर विच आरती जय माँ । हे दरबारा वाली आरती जय माँ । ओ पहाड़ा वाली आरती जय माँ ॥

दिया थाली बिच जलता है
धर्म और भाग्य

दिया थाली बिच जलता है

दिया थाली बिच जलता है, ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥

सुनो सुनो, एक कहानी सुनो
धर्म और भाग्य

सुनो सुनो, एक कहानी सुनो

सुनो सुनो, सुनो सुनो सुनो सुनो एक कहानी सुनो, ना राजा की ना रानी की, ना आग हवा ना पानी की, ना कृष्णा की ना राधा रानी की, दूध छलकता है आँचल से हो ओ ओ, दूध छलकता है आँचल से,

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे
धर्म और भाग्य

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे, निर्धन के घर भी आ जाना । जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ॥