आरती युगल किशोर जी की
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
आरती बाल कृष्ण की कीजै, अपना जन्म सफल कर लीजै ॥ श्री यशोदा का परम दुलारा, बाबा के अँखियन का तारा । गोपियन के प्राणन से प्यारा, इन पर प्राण न्योछावर कीजै ॥ ॥आरती बाल कृष्ण की कीजै...॥
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी । शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ॥ ॥ जय जय संकटा भवानी..॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता । तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता ॥ ॥ जय अहोई माता..॥
जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी, हे समरथ परिपूरन । हे समरथ परिपूरन । हे अन्तर्यामी ॥ ॐ जय कुबेर स्वामी प्रभु जय कुबेर स्वामी..
ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे, भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया, भव से पार करे, ॐ जय कलाधारी हरे ॥
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे । इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी । पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी ॥
ॐ जय जय धर्म धुरन्धर, जय लोकत्राता । धर्मराज प्रभु तुम ही, हो हरिहर धाता ॥
जगजननी जय! जय!! (मा! जगजननी जय! जय!!) । भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय! जय ॥ ॥ जगजननी जय जय..॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः ॥ करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥.
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता । सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥ ॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
ओम जय गौरी नन्दन, प्रभु जय गौरी नंदन गणपति विघ्न निकंदन, मंगल नि:स्पन्दन ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता । आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता ॥ ॐ जय शीतला माता..॥