आरती श्री शीतलनाथ जी की
ॐ जय शीतलनाथ स्वामी, स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी। घृत दीपक से करू आरती, घृत दीपक से करू आरती। तुम अंतरयामी, ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥ ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
ॐ जय शीतलनाथ स्वामी, स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी। घृत दीपक से करू आरती, घृत दीपक से करू आरती। तुम अंतरयामी, ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥ ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
जय काली माता, माँ जय महा काली माँ। रतबीजा वध कारिणी माता। सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
आरती बाल कृष्ण की कीजै, अपना जन्म सफल कर लीजै ॥ श्री यशोदा का परम दुलारा, बाबा के अँखियन का तारा । गोपियन के प्राणन से प्यारा, इन पर प्राण न्योछावर कीजै ॥ ॥आरती बाल कृष्ण की कीजै...॥
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी । शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ॥ ॥ जय जय संकटा भवानी..॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता । तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता ॥ ॥ जय अहोई माता..॥
जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी, हे समरथ परिपूरन । हे समरथ परिपूरन । हे अन्तर्यामी ॥ ॐ जय कुबेर स्वामी प्रभु जय कुबेर स्वामी..
ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे, भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया, भव से पार करे, ॐ जय कलाधारी हरे ॥
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे । इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी । पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी ॥
ॐ जय जय धर्म धुरन्धर, जय लोकत्राता । धर्मराज प्रभु तुम ही, हो हरिहर धाता ॥
जगजननी जय! जय!! (मा! जगजननी जय! जय!!) । भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय! जय ॥ ॥ जगजननी जय जय..॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः ॥ करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥.
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता । सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥ ॥ जयति जय गायत्री माता..॥